ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय: बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला

देहरादून ब्यूरो
3 अक्टूबर को कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय देहरादून द्वारा “बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights)” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में डॉ0 पारेश कुमार दवे, IP Moment – Intellectual Property के संस्थापक और DISHMIZE & TMIZE, नई दिल्ली के निदेशक को विषय विशेषज्ञ हेतु आमंत्रित किया गया।
										
										
										
											
कार्यक्रम की शुरुवात 10 बजे सुबह श्रीमती आकांक्षा गुप्ता द्वारा यूनिवर्सिटी में चल रही रिसर्च और पेटेंट्स की जानकारी देने से हुई। साथ ही उन्होंने आमंत्रित विशेषज्ञ डॉ0 दवे का संक्षिप्त परिचय उपस्थित सदस्यों के बीच प्रस्तुत कर कार्यक्रम की शुरुवात करवाई। उन्होंने विश्वविद्यालय में विभिन्न शोधकर्ताओं या इन्नोवेटर्स द्वारा दायर पेटेंट की संख्या के बारे में भी बताया। तत्पश्चात प्रोफेसर (डॉ0) डी0 आर0 गंगोदकर, डीन इंटरनेशनल अफेयर्स ने डॉ0 दवे का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया, और फिर डॉ0 डी0 पी0 सिंह, विभागाध्यक्ष, कंप्यूटर साइंस & इंजीनियरिंग ने डॉ0 दवे को शॉल भेंट कर सम्मानित किया।
										
										
										
											
डॉ0 दवे ने प्रथम सत्र की शुरुआत बौद्धिक संपदा (आईपी) की परिभाषा: “Intellectual property (IP) refers to creations of the mind, such as inventions, literary – artistic works, designs; and, symbols, names & images used in commerce” से की। फिर आईपीआर और इसके प्रकारों का परिचय दिया; उन्होंने पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन, ट्रेड सीक्रेटस, भौगोलिक संकेत और एकीकृत डिजाइन और लेआउट जैसे विभिन्न पहलुओं को शामिल करने वाली आईपीआर की मूल बातें भी बताईं। उन्होंने विभिन्न प्रकार के आईपीआर के बारे में बताया और साथ ही भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) और पेटेंट फाइलिंग की मूल बातें, आविष्कार और नवाचार, पेटेंट्स के माध्यम से उत्पाद में बदलाव को भी समझाया।
										
										
										
											
इसके अलावा प्रथम सत्र में उद्योग और अकैडमिक लिंक के दायरे और महत्व को समझाया गया। इस बात की भी चर्चा हुई कि विश्वविद्यालय अनुसंधान के परिणाम (बीज) औद्योगिक मिट्टी में जल्दी और दृढ़ता से कैसे उगाए जा सकते हैं? अर्थात् अकैडमिक और इंडस्ट्री सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की गई, जिससे सभी प्रतिभागियों को लाभ हुआ और शोध पेपर लेखन के अलावा पेटेंट और कॉपीराइट के महत्व को समझा।
दूसरा सत्र आईपीआर के बारे में कानूनी अधिकारों के रूप में चर्चा के साथ शुरू हुआ, जो औद्योगिक, वैज्ञानिक, साहित्यिक या कलात्मक क्षेत्रों में बौद्धिक गतिविधि से उत्पन्न कृतियों और आविष्कारों की रक्षा करता है। इसके अलावा उन्होंने IPR व्यवसायीकरण के बारे में समझाया और बताया की सर्वेक्षण के अनुसार यूरोपीय संघ (EU ) की कुल जीडीपी में 45% हिस्सेदारी आईपीआर की है, और साथ ही यूरोपीय संघ में 39% के रोजगार का योगदान आईपीआर उद्योग से है। उसके बाद भारतीय संदर्भ में भी आईपीआर कार्य संभावनाएं के बारें में प्रतिभागियों के साथ चर्चा की।
										
										
										
											
डॉ0 दवे ने आगे बताया कि विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) में 192 सदस्य देश और 26 प्रशासक अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ हैं। भारत भी 07 दिसंबर 1998 को संधि पर हस्ताक्षर कर सदस्य देश है। विशेषज्ञ ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट और पेटेंट सहयोग संधि (पीसीटी) की भी व्याख्या की।
दूसरे सत्र के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालयों और उद्योगों में आविष्कार प्रबंधन, लाइसेंस प्रबंधन के प्रकार, नवाचार चक्र, रिसर्च पेपर और पेटेंट के बीच अंतर की व्याख्या की। विश्व प्रसिद्ध पेटेंटस और कॉपीराइटस के उदाहरण भी समझाए। साथ ही राष्ट्रों के बीच पेटेंटस कम्पटीशन, जैसे हल्दी के मामले सहित कई उदाहरण प्रस्तुत किये।
कार्यशाला में प्रतिभागियों को समझाया गया कि किसी भी सामग्री को पेटेंट कराने के लिए उन्हें NUNS रूल (N का मतलब है नॉवेल, U – उपयोगी, N- गैर-स्पष्ट, S- वैधानिक) का पालन करना होगा। उन्होंने पेटेंट प्राप्त करने के लिए आवश्यक जानकारी के बारे में बताया। इसके अलावा, उन्होंने समझाया कि पेटेंट कैसे लिखें? पेटेंट के लिए खोज करें, अंतरिम पेटेंट दाखिल करें, और इन्नोवेटर द्वारा पेटेंट को दाखिल करने की अंतिम प्रक्रिया को पूरा करें।
कार्यशाला के समापन भाग में उन्होंने समझाया कि अपने इनोवेशन की रक्षा के लिए पेटेंट दाखिल करें, और पेटेंटस पंजीकृत करवाने की प्रक्रिया में विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों पर भी चर्चा की।
कार्यशाला में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, अनुसंधान और विकास इकाई, आईपीआर सेल और विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के लगभग 85 उम्मीदवारों ने भाग लिया।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर (डॉ0) डी0 आर0 गंगोदकर, डीन इंटरनेशनल अफेयर्स, डॉ0 भास्कर पंत, डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट, डॉ0 संतोष कुमार, डॉ0 विकास त्रिपाठी, डॉ0 वारिज पंवार, डॉ0 विजय सिंह, श्री रमेश रावत, श्रीमति आकांक्षा गुप्ता, और संकाय सदस्य उपस्थित थे।
कार्यशाला के समापन्न सत्र में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए और फिर श्री रमेश रावत, कार्यशाला के समन्वयक ने धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यशाला का समापन किया।
आई पी मोमेंट, नई दिल्ली और ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी, देहरादून के बीच एमओयू
आई पी मोमेंट के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी डायरेक्टर और ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी, देहरादून के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। एमओयू की औपचारिक प्रक्रिया के साथ ग्राफिक एरा के इंजीनियरिंग और पीएचडी छात्रों के लिए आंतरिक प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध हुयी। समझौते में विश्वविद्यालय शैक्षणिक कार्यक्रमों के पाठ्यक्रम में आईपीआर मॉड्यूल शामिल किया जायेगा। इसके अलावा इनोवेशन सेल का उद्घाटन के साथ ही IP Moment – पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, डिजाइन फाइलिंग, आईपीआर और आईपीआर परामर्श के लिए सेवाएं प्रदान करेगा। एमओयू के अनुसार विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग छात्रों के लिए वर्तमान उद्योग के रुझान और प्रशिक्षण के नए अवसर भी प्रदान करेगा।
				


