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“सपनो का घर” बनाने वाली DHFL वित्तीय संकट में

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एनबीएफसी DHFL में संकट या शैडो बैंकिंग?

डॉ0 राजीव राणा, अर्थशास्त्री
26 November, 2019 

दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (DHFL) एक बड़ी नामी कंपनी है। इसको वर्ष 1984 में शामिल किया गया है।  DHFL 696.69 करोड़ रुपये की मार्केट कैप वाली कंपनी है। 

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी IF&LS के संकट के बाद एक बड़ा नाम जो आम आदमी के लिए “सपनो के घर” का सपना पूरा कर रही थी, वह भी अचानक वित्तीय संकट में उलझ गयी। 

DHFL मुख्य रूप से एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) है। यह कंपनी लंबे समय के लिए दीर्घकालिक परियोजना हेतु वित्त उपलब्ध करती है। जिसे यह शार्ट-टर्म डिपाजिट से पूरा करती है तथा इसका मुख्य पूंजी का सोर्स शार्ट टर्म डिपाजिट होता है। अंतः यह कंपनी शार्ट टर्म डिपाजिट द्वारा दीर्घकालिक प्रोजेक्ट को फाइनेंस करती है। यही उनकी कंपनी में बैलेंसशीट में समस्या का मुख्य कारण कारण था। मुख्य रूप से वे शॉर्ट टर्म कैपिटल से लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट को फाइनेंस करते हैं। 

जब भी उधार लेने की लागत में वृद्धि होती है, तो उसका सीधा असर उनकी चलनिधि में  कमी से होती है, इसका सीधा असर DHFL की दीर्घकालिक रेटिंग में हुआ – जो बाद में रेटिंग एजेंसी द्वारा  BBB- (स्थिर) से डाउनग्रेड हो गई है और इसे संकट के बाद इसे D (दिवालिया) तक सीमित कर दिया गया है यानी स्थिर रूप से डिफ़ॉल्ट में।

DHFL का एक अन्य मुद्दा एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के तौर पर भी था, जो मुख्य रूप से 2,223 करोड़ रुपये के शुद्ध नुकसान की रिपोर्ट में होम लोन प्रदान करने में शामिल थी। वित्त वर्ष 2019 के अंतिम तिमाही में 134 करोड़ रुपये के लाभ के मुकाबले। पिछले साल इसी अवधि में और 6 जुलाई में, DHFL का बैंकों,  नेशनल हाउसिंग बोर्ड और म्यूचुअल फंड और सभी बॉन्डहोल्डर्स पर 83873 करोड़ रुपये बकाया है।

KPMG की प्रारंभिक ऑडिट रिपोर्ट से DHFL के लिए एक और बुरी खबर आई थी, जिसके द्वारा Bloomberg ने कहा था। कि उसको धन के दुरुपयोग की पहचान करने के लिए अप्रैल 2015 और मार्च 2019 के बीच की अवधि के लिए DHFL खातों पर ध्यान देने के लिए चुना गया था। व्यवसाय के बाहर उधारदाताओं द्वारा अनुमोदित उपयोग करता है “ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया था कि ऋण और ऋण अंतर-जुड़े संस्थाओं को अग्रिम रूप से इसके प्रवर्तकों से जुड़े हुए हैं, और इस तरह के 28 संस्थाओं द्वारा 12,541 करोड़ रुपये के पुनर्भुगतान अप्राप्त हैं। 

NBFC की प्रकृति की हमेशा आलोचना की गई है क्योंकि वे शैडो बैंकिंग की प्रक्रिया को अपनाते, थे शैडो बैंकिंग से तात्पर्य गैर-बैकिंग वित्तीय कम्पनियों (NBFCs) द्वारा बैंकों जैसी सेवाएं देने से होता है ऐसी कम्पनियां अधिकांशत: निवेशकों और कर्जदारों के बीच बिचौलिए का काम करती हैं। अर्थात ये गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों द्वारा की गई गतिविधियाँ जैसे दीर्घकालिक देनदारियों के खिलाफ अल्पकालिक प्रतिभूतियों को जारी करना और उसके चरित्र के कारण व्यवस्थित जोखिम उत्पन्न करना। तरल देयता और इल्लिक्विड संपत्ति का क्रिएशन करना आदि।   

यदि DHFL में संकटों के बादल गहराये तो इसका परिणाम क्या होगा?

हाल ही में RBI ने 20 नवंबर, 2019 को डीएचएफएल के बोर्ड को अलग कर दिया और आर सुब्रमण्यकुमार को प्रशासक नियुक्त किया।  जिससे यह कंपनी के दिवाला और दिवालियापन (वित्तीय सेवा प्रदाता और अधिनिर्णय प्राधिकरण को आवेदन की इनसॉल्वेंसी एंड लिक्विडेशन प्रोसीडिंग्स) नियम 2019 के तहत जल्द ही समाधान की प्रक्रिया शुरू कर सके।

अगर DHFL का लिक्विडेशन होता है तो यह छोटे निवेशकों एवं पब्लिक के लिए निराश करने वाली हो  सकती है क्यूकि ये सभी छोटे निवेशक अपनी घाडी मेहनत की बचत को खो सकते है। कुल शरहोडलिंग पैटर्न को ग्राफ द्वारा प्रस्तुत किया गया है। जो की DHFL की अलग-अलग हिस्सेदारी दिखाते हुए शेयर होल्डिंग पैटर्न को दर्शाता  है। इसके प्रमुख निवेशक राज्य पेंशन फंड, एलआईसी और सबसे ज़्यादा आम जनता को उनकी जिंदगी की कड़ी मेहनत की बचत का नुकसान हो सकता है। 

इसका बुरा असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा तथा बैंको एवं NBFC के इंटर-कनेक्टेड होने से ये  एक प्रकार से सिस्टेमेटिक पैनिक के रूप में पनपता है। जिसके दीर्धकालीन परिणाम काफी बुरे हो सकते है। तथा जनता का ऐसी वित्तीय संस्थाओ से भरोसा भी उठाने लगता है।


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