डोबरा-चांठी पुल बनने की खबर से प्रतापनगर की जनता में खुशी की लहर

डोबरा-चांठी पुल बनने की खबर से प्रतापनगर की जनता में खुशी की लहर
Please click to share News

जगत सागर बिष्ट * नई टिहरी

डोबरा-चांठी पुल पर पिछले 13 सालों में निर्माण कार्य चल रहा है। जो आज के इंजीनियरों के लिए चुनौती बना था। वर्ष 2006 से निर्माणधीन 440 मीटर स्पॉन के पुल बनाने में अभी तक लगभग 2 अरब की धनराशि व्यय हो चुकी है। लेकिन अभी भी लोगों को मार्च 2020 तक इंतजार करना होगा। विभाग की माने तो पुल से गाड़ियों की आवाजाही मार्च 2020 से शुरू हो जाएगी। जिससे एक बार फिर प्रतापनगर की तीन लाख जनता में खुशी की लहर है। 

बांध बनने से अलग-थलग पड़ गया था क्षेत्र

टिहरी जनपद का प्रतापनगर विधान सभा क्षेत्र टिहरी बांध बनने से क्षेत्र के सभी पुल व रास्ते बन्द हो गए थे। जिससे यह क्षेत्र अलग थलग पड गया था। बांध बनने से रोज उपयोग में होने वाली सभी बस्तुऐं महंगी हो गयी थी। जिससे अक्रोषित प्रताप नगर की जनता ने आदोंलन किया। उस समय के तत्कालीन  विधायक फूल सिंह बिष्ट की मेहनत व कांग्रेस के मुख्यमंत्री एन डी तिवारी की सूजबूज व इच्छाशक्ति की बदौलत डोबरा-चांठी पुल बनाने की बात पर मोहर लगी और पुल का काम शुरू हो गया।

डब्बल लेन से सिंगल लेन पर आ सिमटा पुल

उस समय जनता को भरोसा दिलाया गया था कि पुल तीन साल में पूरा हो जायेगा लेकिन पुल विभिन्न समस्याओं , इंजिनियरी फेल होने व भ्रष्टाचार की डगर में फंसे पुल को पूरा होने में 13 साल का समय लग गया। डब्बल लेन का यह पुल अब सिंगल लेन में सिमट कर रह गया है। टिहरी बॉध के कारण अलग – थलग पड़े  प्रतापनगर क्षेत्र के लिए निर्माणधीन डोबरा -चांठी पुल की सभी 87 सेगमेंट पैनल जोड दियें गऐं है। अब सिर्फ पुल का प्रोफाईल करेक्शन, एडजस्टमेंट, नट- वोल्ट को टाईट करना, वेल्डिंग, पेटिंग और टेस्टिंग का कार्य बाकी रह गए है।  

पुल से मार्च 2020 में आवाजाही की उम्मीद

अगले बर्ष मार्च तक पुल पर आवाजाही का वर्षो का सपना अब साकार हो सकेगा। आखिरकार सभी  बाधाओं को पार करने के बाद निर्माण विभाग लोनिवि निर्माण खंड और कंपनी वीकेजेएएंड एम बी जेड के इंजीनियरों ने पुल के सभी पैनलों को जोड दिया है। पुल में आसानी से पैदल चल कर पुल पार किया जा सकता है।

पुल का विवादों से भी रहा नाता

वर्ष 2006 से निर्माणधीन 440 मीटर स्पैन के डोबरा-चाठी पुल  का निर्माण हमेशा ही विवादों में रहा है। कभी पुल की ऊँचाई और लम्बाई तो कभी पुल की तकनीकी को लेकर पहले सब ठीक चल रहा था लेकिन अचानक पुल को जोड़ने के दौरान 23 अगस्त 2018 में पुल के चार सस्पेंडर टूट गए थे । इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने विभिन्न तकनीकी परीक्षण करवाकर फिर से मुख्य पुल जोड़ने का काम शुरू कर दिया । पुल में अभी तक दो अरब की धन राशि खर्च हो गयी है। प्रोजेक्ट के एस ई एस के राय, ई ई व प्रोजेक्ट मैनेजर के एस असवाल ने बताया की पुल का अधिकांश कार्य पूरा हो चुका है,केवल बाहरी कार्य बाकी है। जिसे जल्द पूरा कर दिया जायेगा। मार्च 2020 तक पुल में आवाजाही शुरू कर दी जायेगी। 

टिहरी-उत्तरकाशी जनपद की 2 लाख से ज्यादा आबादी को फायदा-जिला मुख्यालय की दूरी होगी कम

टिहरी बांध के कारण अलग-थलग पडे प्रतापनगर और उत्तरकाशी जिले के गाजणा पट्टी की दो लाख से अधिक जनता को फायदा होगा। टिहरी जिला मुख्यालय से 80 किलो मीटर का दूरी कम होगी, साथ ही छोटे व बडे वाहन पुल से गुजर सकेंगे। पुल न होने से प्रतापनगर क्षेत्र के माल-भाडे के जिन बड़े वाहनों को  घनसाली, उत्तरकाशी अथवा चिन्सालीसौड से होकर जाना पड़ता था उन्हें अब पुल बनने के बाद सुविधा होगी । इससे पैसे और समय दोनों की बचत होगी। जिससे क्षेत्र की जनता में खुशी की लहर है।


Please click to share News

admin

Related News Stories