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नागरिकता कानून पर भाजपा को लगा झटका, एजीपी जाएगी सुप्रीम कोर्ट

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गढ़ निनाद समाचार

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सरकार को बड़ा झटका लग सकता है। असम में सत्तारूढ़ भाजपा के प्रमुख घटक दल असम गण परिषद (एजीपी) ने इस कानून के विरोध की घोषणा की है। एजीपी ने कहा है कि वो नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी। हालांकि पहले एजीपी ने इस कानून का समर्थन किया था और राज्यसभा में समर्थन में वोट भी किया था।

सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी एजीपी के नेता कुमार दीपक दास ने रविवार को उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करेगी जिसमें संशोधन किए गए नागरिकता कानून को रद करने की अपील की जाएगी। एजीपी ने वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि एजीपी ने आम लोगों की भावनाओं का सम्मान किया, जो इस बात से आशंकित हैं कि ये कानून उनकी पहचान और अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है। राज्यसभा के पूर्व सांसद दास ने कहा, ‘हम संशोधित कानून लाने के लिए कानूनी रास्ता अपनाएंगे क्योंकि असम के स्थानीय लोग आशंकित हैं कि उनकी पहचान, भाषा खतरे में आ सकती है।’

सूत्रों ने बताया कि दास के नेतृत्व में एजीपी का एक प्रतिनिधिमंडल सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर करने के लिए रविवार की शाम दिल्ली रवाना हो गया। इस मामले पर सुनवाई 18 दिसंबर को हो सकती है।

एजीपी के पूर्व मंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत इस कानून का पहले से ही खुलेआम विरोध करते रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी ने इस कानून के समर्थन में कभी कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया। उन्होंने एजीपी नेतृत्व से अपील की कि वह इस संवेदनशील मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करें। एजीपी प्रमुख अतुल बोरा के यह कहने के बाद अगर केंद्र बिल लाना चाहता है तो वह कुछ नहीं कर सकते, पार्टी में बगावत के सुर उभरने लगे थे।

ध्यान रहे कि असम गण परिषद ने संसद में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया था। राज्यसभा में एजीपी के सदस्य बीरेंद्र प्रसाद वैश्य ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया था। इसके बाद पार्टी में दो फाड़ की खबरें आईं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। ऑल असम स्टुडेंट्स यूनियन (आसू) ने भी संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। आसू के प्रमुख सलाहकार समज्जुल भट्टाचार्य ने असम के लोगों से कथित ‘विश्वासघात’ करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं की निंदा की और इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।


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