भारत ईरान को करेगा 25 मीट्रिक टन टिड्डी नियंत्रण कीटनाशक निर्यात, क्या है टिड्डी समस्या? देखिये वीडियोस

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एचआईएल (इंडिया) की क्रेडिट रेटिंग ‘बीबी’ से बढ़कर ‘बीबीबी’

“एचआईएल (इंडिया) लिमिटेड एक केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम”

गढ़ निनाद न्यूज * 24 मई 2020
दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन से देश ही नहीं विश्व स्तर पर लॉजिस्टिक्स एवं कई अन्य चुनौतियों उत्‍पन्‍न हो गयी, जिससे बहुत से क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए है। लेकिन इस सब के बावजूद रसायन और उर्वरक मंत्रालय के रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग के अधीनस्‍थ सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) ‘एचआईएल (इंडिया) लिमिटेड’ ने कृषक समुदाय के लिए बिल्‍कुल ठीक समय पर कीटनाशकों का उत्पादन और आपूर्ति सुनिश्चित की है।

https://www.garhninad.com/wp-content/uploads/2020/05/Satyam-Jha-Rising-numbers-of-locustswarm-is-a-threat-to-foodsecurity⁣-They-generally-migrates-from-hotter-region-to-wet-weather-regionUnusual-rainfalls-ampan-increase-in-the-frequency-of-cyclon.mp4

एचआईएल अब भारत और ईरान के बीच सरकारी स्‍तर पर हुई व्यवस्था के तहत ईरान को टिड्डी नियंत्रण कार्यक्रम के लिए 25 एमटी मैलाथियान टेक्निकल का उत्पादन और आपूर्ति करने की प्रक्रिया में है। केंद्रीय विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इस वस्तु यानी कीटनाशक का उत्‍पादन कर इसकी आपूर्ति ईरान को करने के लिए एचआईएल से संपर्क किया है।

यही नहीं, इस केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की क्रेडिट रेटिंग ‘बीबी’ से बढ़ाकर ‘बीबीबी’ कर दी गई है, जो एक ‘स्थिर निवेश ग्रेड’ को दर्शाती है।

If these swarms of locusts are going to destroy more crops, there is going to be a critical shortage of food this year in India.. #Jaipur #Locusts pic.twitter.com/SMxJ97KJOt

— T H M (@THM_Off) May 25, 2020

कीटनाशी दवाओं में बढ़ता भारत का ब्यापार

इस कंपनी ने लैटिन अमेरिकी देश पेरु को 10 मीट्रिक टन फफूंद नाशक ‘मैंकोजेब’ का निर्यात किया है। इतना ही नहीं, 12 और मीट्रिक टन मैंकोजेब का निर्यात अगले एक सप्ताह में किया जाएगा।

इसके अलावा, एचआईएल ने टिड्डी नियंत्रण कार्यक्रम के लिए राजस्थान और गुजरात को मैलाथियान टेक्निकल की आपूर्ति करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। एचआईएल ने पिछले सप्ताह तक 67 मीट्रिक टन मैलाथियान टेक्निकल का उत्‍पादन और आपूर्ति की थी।

इतना ही नहीं, एचआईएल ने डेंगू और चिकनगुनिया नियंत्रण कार्यक्रम के लिए नगर निगमों को मैलाथियान टेक्निकल की आपूर्ति की।

https://www.garhninad.com/wp-content/uploads/2020/05/Brut-India-A-swarm-of-locusts-is-heading-towards-our-western-states.-They’ve-ravaged-Africa’s-crops-for-years-and-here’s-how-they-can-endanger-India’s-farms..mp4

For farmers facing India's biggest #locusts attack, govt. Provide insufficient relief.
While the govt. is trying to control the locust swarms, farmer's in Rajasthan are also being provide relief as per the state disaster response fund norms.#Agriculture_Supervisor_Justice pic.twitter.com/miO90VnIUa

— Avinash Bochalya (@AvinashJat01) May 26, 2020

एचआईएल ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान 15 मई 2020 तक 120 मीट्रिक टन मैलाथियान टेक्निकल, 120.40 मीट्रिक टन डीडीटी टेक्निकल, 288 मीट्रिक टन डीडीटी 50% डब्‍ल्‍यूडीपी, 21 मीट्रिक टन एचआईएलगोल्ड (जल में घुलनशील उर्वरक), 12 मीट्रिक टन ‘मैंकोजेब’ फफूंद नाशक (निर्यात के लिए) और 35 मीट्रिक टन कृषि रसायन फॉर्मूलेशनों का उत्पादन किया, ताकि कृषक समुदाय यानी किसानों और स्वास्थ्य विभाग को लॉकडाउन की वजह से परेशानी का सामना न करना पड़े।

https://www.garhninad.com/wp-content/uploads/2020/05/The-Independent-Army-of-100000-ducks-deployed-to-fight-locust-infestation.mp4

गौरतलब है की जहाँ खेती के प्रति दुनियाँ में रुचि लगातार कम हो रही हैं। इसके बहुत से कारण हैं: खेती के लिया पानी की कमी होना, अकसर किसी न किसी आपदा से भरी नुक्सान होना या उपज बहुत कम होन। इससे किसान परिवारों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो जाता है, फलस्वरूप किसान परिवारों की नई पीडियां खेती-किसानी छोड़ दूसरे व्यवसाय करने को मजबूर हो जाते हैं।


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