बिग ब्रेकिंग: नहीं रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणव दा, देशभर में शोक की लहर

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7 दिन का राष्ट्रीय शोक

गढ़ निनाद न्यूज़* 31 अगस्त 2020

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का 84 साल की उम्र में लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया।  मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी है।  प्रणव दा ने आज सोमवार को दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में  आखिरी सांस ली। वह ब्रेन सर्जरी कराने के बाद पिछले कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। 

प्रणव मुखर्जी के निधन के बाद राजनीतिक जगत में शोक की लहर है। प्रणव दा की मौत पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम पक्ष विपक्ष के नेताओं ने शोक जताया है। सुबह अस्पताल के सूत्रों से जानकारी मिली थी कि उनके फेफड़ों में संक्रमण की वजह से वो सेप्टिक शॉक में थे। उनका इलाज वेंटिलेटर पर लगातार चल रहा था और वो गहरे कोमा में थे। लेकिन शाम होते-होते उनकी हालत बिगड़ती गई और उन्होंने 84 साल की उम्र में ली अंतिम सांस ली।  

बता दें कि 15 जून, 2012 को प्रणव मुखर्जी भारत के राष्ट्रपति बने थे। प्रणब मुखर्जी बेहद प्रभावी राजनीतिज्ञ रहे, उन्होंने कांग्रेस पार्टी समेत देश की समस्याओं को सुलझाने में अपना बड़ा योगदान दिया था। थी नहीं प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता था 

बता दें कि 11 दिसंबर, 1935 को जन्मे प्रणब मुखर्जी प्रोफ़ेसर भी रहे थे। उन्होंने 1963 में पश्चिम बंगाल के विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस छात्रों को पढ़ाया था। प्रणब मुखर्जी ने स्थानीय बंगाली समाचार पत्र देशर डाक में बतौर पत्रकार भी काम किया था। कम लोग ही जानते हैं कि राजनीति में प्रणब मुखर्जी को इंदिरा गांधी लेकर आई थीं और उन्होंने ही राज्यसभा का सदस्य बनने में प्रणब का मार्गदर्शन किया था।  

यह भी बता दें कि प्रणब देश के उन राष्ट्रपतियों में से एक थे, जिन्होंने कई दया याचिकाएं खारिज की थीं। प्रणब ने 7 दया याचिकाओं को खारिज किया था। जिनमें अफजल गुरु और अजमल कसाब की भी दया याचिका शामिल थी। प्रणव मुखर्जी के निधन से देशभर ने शोक की लहर दौड़ गई है। 

गढ़ निनाद परिवार की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि। नमन।


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Govind Pundir

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