खेतों में दिख रही किसानों की मेहनत
 
						गढ़ निनाद न्यूज़* 8 सितम्बर 2020
रघुभाई जड़धारी
आजकल खेतों में खड़ी फसल देखने लायक है। जिस तरह की फसल है, उससे साफ लग रहा है कि किसानों ने कितनी मेहनत की होगी। इस चित्र में मेरे ठीक पीछे जो खेत दिखाई दे रहे हैं उनमें धान की पारंपरिक किस्म (झुण्या) की फसल लहलहा रही है जिसमें बालियां पड़ गई हैं और जो कुछ समय बाद पक कर तैयार हो जाएगी।
आज जब थौलधार के दूरस्थ डांग, बांगियाल, मैंडखाल क्षेत्र का भ्रमण किया तो यहां खेती की जानकारी भी ग्रामीणों से ली। इन खेतों में धान की (झुण्या) प्रजाति की फसल दिख रही है। यह पारंपरिक किस्म है। इसका पौधा न ज्यादा लंबा और न छोटा होता है। उत्पादन भी ठीक होता है। स्वाद और मांड के तो कहने क्या। हमें इस तरह की पारंपरिक प्रजातियों का संरक्षण जरूर करना चाहिए। उन्हें उगाना नहीं छोड़ना।
आखिर बीज चाहे वह किसी भी फसल का हो। वह किसी फैक्ट्री या कल कारखाने में नहीं बन सकता। वह किसानों के पास और खेतों में ही जिंदा रह सकता है। हमारे पुराने अनाजों की विशेषता यह भी रही है कि उनसे एक ओर हमको भोजन मिलता रहा है, तो दूसरी ओर अनाजों ने दवा का काम भी किया है। हमारे पारंपरिक अनाज औषधीय गुणों से भरपूर हैं। जय किसान।
 Skip to content
		
				
				
						Skip to content
				
 
				 
			 
			 
			 
			 
			 
			 
			 
			 
			