10 अप्रैल राष्ट्रीय जल संसाधन दिवस पर विशेष

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*जल महिमा*

*डॉ सुरेंद्र दत्त सेमल्टी*

गढ़ निनाद समाचार।

नई टिहरी, 10 अप्रैल 2021।

जल धरती का प्राण है, अंबर का है फूल 

बिन जल धरती धाम में, हर पल उड़ती धूल 

सारे प्राणी वनस्पति, पैदा होते तब 

हर जगह उपलब्ध हो, पर्याप्त जल तब

जल तो ऐसा तत्व है, जिस पर टिकी सृष्टि 

उसके प्रति रखें सदा, अपनी निर्मल दृष्टि 

जल धुलता रहता सदा, हर मानव के पाप 

मज्जन पान करने पर, हरता मन की ताप

मानव पलता जिस अन्न से, वह जल पर पूर्ण निर्भर 

शक्ति संचय शरीर में करता, प्राणी इससे हर

पशु-पक्षी भी जल पीकर, करते अपना काम

निर्मल जल ने आज तक, रखा है जीवन थाम

आए दिन अक्सर मानव, कर रहे हैं जल को गंदा

कान खोल सुन ले सभी, यह नहीं है अच्छा धंधा

कूड़ा कचरा मल मूत्र से, करें ना जल को अपवित्र 

सार्थकता इसकी तभी, जब रहे यह पूर्ण पवित्र

सब कुछ हो पर जल नहीं, नहिं लगती कुछ आश

चाहते हो कल्याण यदि,तो बन जाओ जल के दास 

तन मन धन अर्पित कर, रखें सब जल की शुद्धि

निर्मल जल उपयोग से, रहेगी निर्मल बुद्धि।


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Govind Pundir

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