विशेष: शहीद श्रीदेव सुमन को शत शत नमन

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शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,

वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा

गोविंद पुंडीर 

नई टिहरी, 25 मई 2021। आज ही के दिन महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीदेव सुमन जी का जन्म प्रखंड चम्बा के जौल गांव में 25 मई 1916 को हुआ था। वे 1930 में 14 साल की उम्र में ही गांधी जी के नमक सत्याग्रह आंदोलन में कूद पड़े थे। जिसके लिए उन्हे जेल जाना पड़ा। उसके बाद उन्होंने टिहरी रियासत की सामंतशाही नीतियों के विरोध में आंदोलन किया। 1940 में राजा की नीतियों का विरोध करने पर उन्हें जेल भेजा गया। उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किये गये जिस पर सुमन ने आमरण-अनशन शुरू कर दिया। 

श्रीदेव सुमन का कहना था कि “मैं अपने शरीर के कण-कण को नष्ट हो जाने दूंगा लेकिन टिहरी रियासत के नागरिक अधिकारों को कुचलने नहीं दूंगा”। सुमन की इस बात पर राजा ने दरबार और प्रजामण्डल के बीच सम्मानजनक समझौता कराने का संधि प्रस्ताव भी भेजा। लेकिन राजा के दरबारियों ने उसे खारिज कर इनके पीछे पुलिस और गुप्तचर लगवा दिये।

बाद में यह झूठी अफवाह फैला दी कि श्रीदेव सुमन ने अनशन समाप्त कर दिया है और 4 अगस्त को महाराजा के जन्मदिन पर उन्हें रिहा कर दिया जायेगा। 

उधर अनशन से सुमन की हालत बिगड़ती चली गई और जेल के अत्याचार भी बढ़ते चले गए। जेल के कर्मियों ने यह प्रचारित करवा दिया कि सुमन को निमोनिया हो गया है, लेकिन इन्हें कुनैन के इंट्रावेनस इंजेक्शन लगाए गए। जिससे इनके पूरे शरीर में पानी की कमी हो गयी। 

20 जुलाई की रात से उन्हें बेहोशी आने लगी और 25 जुलाई 1944 को शाम करीब 4 बजे इस अमर सेनानी ने अपनी मातृभूमि, अपने देश और अपने आदर्शों के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। शत शत नमन।


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Govind Pundir

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