उत्तराखंड में बहुत शीघ्र भू-कानून बनाया जाना हितकर है-लोकेंद्र जोशी

उत्तराखंड में बहुत शीघ्र भू-कानून बनाया जाना हितकर है-लोकेंद्र  जोशी
Please click to share News

नई टिहरी/ घनसाली। उत्तराखंड में सख्त भू-कानून की बहुत आवश्यकता है। उत्तराखंड की सरकारों ने अपने राजनैतिक स्वार्थों के लिए, मूलनिवास समाप्त कर स्थाई निवास लागू कर दिया। सारे बाहरी प्रदेश के नागरिक यहां सरकारी नौकरियों और अन्य लाभ ले रहे हैं। धीरे धीरे भूमाफिया उद्योग धंधों के नाम पर, जमीन की खरीद फरोख्त करते चले अा रहे हैं । अभी से चारधाम यात्रा मार्गों और तराई क्षेत्र में पूंजी पति भू माफियाओं के साथ मिल कर काबिज हो गए हैं । 

राज्य में पहले से ही कृषि भूमि नगण्य रह गई। इसके कई कारण है! उत्तराखंड का अधिकाश भू भाग पहाड़ी है जहां बड़ी संख्या  में ग्लेशियर, छोटी बड़ी नदियां और गाढ़ गधेरे होने से जल सम्पदा प्रचूर मात्रा में है। जिन पर जल माफिया की गिद्द दृष्टि , राज्य के सत्ताधारियों की मिलीभगत से पड़ चुकी है और नदियों की खरीद फरोख्त  राज्य बनने के बाद से चल रही  है। 

नदियों का पूरा जल बांध बनाकर बिजली पैदा कर खूब मुनाफा कमाया जाना लग गया है। भले ही स्थानीय नागरिकों को शुद्ध पीने का पानी और खेतों की सिंचाई  मुनासिब न हो ! बांधों के नाम पर नदी घाटियों की कृषि योग्य भूमि खुर्दबुर्द कर जल माफियों को दी जा रही है 

दिवाकर भट्ट के राजस्व मंत्री रहते बने भू -कानून में संशोधन कर सरकार ने क्षिक्षा तक को भी उद्योगों का दर्जा दे कर, उनके भू- कानून कर उलट कर, माफियों को उत्तराखंड में घुसने का रास्ता साफ कर दिया। पेड़,जंगलों और बन भूमि पर पहले से वन अधिनियम के कारण राज्य के मूल निवासयों पर बड़ी भारी मार पड़ी हुई है, और सारे विकास कार्य ठप पड़े हैं । अविकसित प्लान के कारण मोटरमार्ग के निर्माण में पांच दस गुना भूमि बर्बाद और बंजर हो रही है। प्रति वर्ष आपदा और बढ़ते हुए परिवारों के कारण कृषि योग्य भूमि नगण्य होती जा रही है। सरकारों के द्वारा  पैमास नहीं कि गयी, और नए राजस्व ग्राम भी नहीं बनाये जा रहे हैं। दूसरी ओर राज्य के मूल निवासियों के लिए, कोई रोजगार नीति नहीं है, कृषि नीति में भी सकारात्मक पहल हो कर, जंगली जानवरों से भी खेती खतरे में है।

ऐसे ही हाल रहे तो उत्तराखंड के आम नागरिक उत्तराखंड में अपनी भूमि से वंचित हो कर उनका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। जिससे आम आदमी का जीवन दूभर हो जाएगा। इन सभी कारणों को गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड में कठोर भू कानून की आवश्यकता है, ताकि राज्य वासियों के हितों को सुरक्षित रखा जा सके।


Please click to share News

Govind Pundir

Related News Stories