ऋषि गंगा के उदगम क्षेत्र में ग्लेशियरों में फिलहाल दरारें नहीं, टीम ने किया हवाई सर्वेक्षण

ऋषि गंगा के उदगम क्षेत्र में ग्लेशियरों में फिलहाल दरारें नहीं, टीम ने किया हवाई सर्वेक्षण
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डीएम स्वाति भदौरिया ने कहा आपदा के बाद से क्षेत्र में अभी कोई बड़ी हलचल नहीं दिखी

चमोली, 1 जून 2021। गढ़ निनाद ब्यूरो। 

चमोली की ऋषि गंगा  के ऊपरी जलागम क्षेत्र में स्थित हिमनदों में दरारें दिखने से लोगों में घबराहट की स्थिति उत्पन्न होने पर जिलाधिकारी चमोली स्वाति भदौरिया ने तत्काल कार्रवाई कर शासन से क्षेत्र के सर्वेक्षण कराने के लिए वैज्ञानिकों की टीम भेजने का आग्रह किया था। 

इसी क्रम में देहरादून से आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक डॉ पीयूष रौतेला और उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डॉ एमपीएस बिष्ट के नेतृत्व में 29 मई 2021 को धौलीगंगा के ऊपरी क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया गया। जिसकी रिपोर्ट आ गयी है।

हवाई सर्वेक्षण के आधार पर किये गये आकलन के अनुसार क्षेत्र की स्थिति का विवरण निम्नवत है-

“1- यद्यपि हिमनदों के ऊपर दरारों व मलवे का होना सामान्य है, सर्वेक्षण के अंतर्गत कहीं भी इस प्रकार की कोई भी दरार नहीं दिखायी दी जिससे कि भविष्य में किसी खतरे का अंदेशा हो। 

2- सर्वेक्षण किये गये क्षेत्र में एक स्थान पर ऊपरी क्षेत्र से भूस्खलन होने के चिन्ह अवश्य दृष्टिगत हुए, यद्यपि भूस्खलन कब हुआ यह कह पाना संभव नहीं है। उक्त के क्रम मेंअवगत करवाना है कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक कारणों (विशेष रूप से दैनिक तापमान में अधिक अंतर होने की स्थिति में) से नियमित रूप से भूस्खलन व हिमस्खलन का होना एक सामान्य घटना है। उक्त भूस्खलन से किसी प्रकार का खतरा दृष्टिगत नहीं होता है।

3- किये गये सर्वेक्षण के आधार पर भविष्य में उपरोक्त क्षेत्र में फिर से भूस्खलन/हिमस्खलन की कोई संभावना प्रतीत नहीं होती है। 

4- क्षेत्र में कहीं भी किसी भी प्रकार की मानव आबादी नहीं है और वर्तमान में क्षेत्र में किसी भी प्रकार का कोई खतरा उपस्थित प्रतीत नहीं होता है। विगत 07 फरवरी, 2021 को हुयी त्वरित बाढ़ की घटना के लिये वैज्ञानिकों के द्वारा ऊपरी जलागम क्षेत्र में स्थित हिमनदों के ऊपर अवस्थित दरारों की उपस्थिति तथा उक्त दरारों से हुये विखण्डन को उत्तरदायी माना गया है। उक्त बाढ़ की भयावहता अभी स्थानीय लोगों को याद है और अभी तक वह उक्त सदमे से उबर नहीं पाये हैं। समाचार पत्रों के द्वारा वर्तमान में दिखायी दी दरारों को सम्भावित बाढ़ से जोड़ कर दर्षाये जाने से विगत में आयी बाढ़ की भयावहता लोगों को एक बार फिर से ध्यान आ गई। उपरोक्त स्थितियों सम्बन्धित क्षेत्र के जनमानस में भय व घबराहट का होना सामान्य है।

अवगत कराना है कि वैज्ञानिकों के द्वारा निश्चित ही पूर्व में 07 फरवरी, 2021 को घटित बाढ़ की घटना के लिये पूर्व में हिमनदों के ऊपर अवस्थित दरारों को उत्तरदायी माना गया है परन्तु किसी भी वैज्ञानिक या वैज्ञानिक संस्था के द्वारा कभी भी यह नहीं कहा गया है कि हिमनदों के ऊपर इस प्रकार की दरारें दृश्टिगत् होने के उपरान्त बाढ़ की घटना की पुनरावृत्ति होगी।”

उधर 29 मई को ही जोशीमठ से आई आईटीबीपी, एसडीआरएफ और सिंचाई विभाग की सनयुकन टीम ने भी प्रशिक्षु आईएस डॉ दीपक सैनी के निर्देशन में ऋषिगंगा हड़गम स्थल का मुआयना कर आवश्यक फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी की।

जिलाधिकारी स्वाति इस भदौरिया ने बताया कि ग्लेशियर से अभी कोई तात्कालिक खतरा नहीं दिखता है। आपदा के बाद से अभी तक क्षेत्र में कोई बड़ी हलचल भी देखने को नहीं मिली है।


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Govind Pundir

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