योग कोरोना महाव्याधि से मुक्ति का सशक्त माध्यम – नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज

योग कोरोना महाव्याधि से मुक्ति का सशक्त माध्यम – नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
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हरिद्वार। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर नृसिंह वाटिका आश्रम रायवाला हरिद्वार उत्तराखंड में योगाभ्यास किया गया। नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने वर्चुअल प्रवचन करते हुए बताया कि वर्तमान कोविड-19 महामारी के चलते अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा और बेहतर रोग प्रतिशोधक क्षमता विकसित करने के लिए योग का महत्व और भी अधिक हो चला है।

स्वामी जी ने कहा कि योग एवं ध्यान के माध्यम से भारत दुनिया में गुरु का दर्जा एवं एक अनूठी पहचान हासिल करने में सफल हो रहा है। इसीलिये समूची दुनिया के लिये अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस स्वीकार्य हुआ है। इसके लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 

सूझबूझ एवं प्रयासों से अपूर्व वातावरण बना है। आज कोरोना महामारी के कारण हर कोई तनाव/ दबाव महसूस कर रहा है। हर आदमी संदेह, अंतद्र्वंद्व और मानसिक उथल-पुथल की जिंदगी जी रहा है। 

मनुष्य के सम्मुख जीवन का संकट खड़ा है। मानसिक संतुलन अस्त-व्यस्त हो रहा है। मानसिक संतुलन का अर्थ है विभिन्न परिस्थितियों में तालमेल स्थापित करना, जिसका सशक्त एवं प्रभावी माध्यम योग ही है। 

योग एक ऐसी तकनीक है, एक विज्ञान है जो हमारे शरीर, मन, विचार एवं आत्मा को स्वस्थ करती है। यह हमारे तनाव एवं कुंठा को दूर करती है। जब हम योग करते हैं, श्वासों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, प्राणायाम और कसरत करते हैं तो यह सब हमारे शरीर और मन को भीतर से खुश और प्रफुल्लित रहने के लिये प्रेरित करती है। योग कोरोना महाव्याधि से मुक्ति का सशक्त माध्यम है।

उन्होंने बताया कि योग मनुष्य की चेतना को शुद्ध एवं बुद्ध करने की प्रक्रिया है। यह परमात्मा एवं परम ब्रह्म से एकाकार होने का विज्ञान है। ब्रह्म का साक्षात्कार ही जीवन का काम्य है, लक्ष्य है। यह साक्षात्कार न तो प्रवचन से ही प्राप्त हो सकता है, न बुद्धि से ही प्राप्त हो सकता है। यह साक्षात्कार उसी को होता है जिसका अंतःकरण निर्मल और पवित्र है। पवित्र अंतःकरण ही वह दर्पण है जिसमें आत्मा का दर्शन, प्रकृति का प्रदर्शन और ब्रह्म का संदर्शन होता है। 

योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली प्रकार है, जिसके माध्याम से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है। यही कारण है कि योग से शारीरिक व्याधियों के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती है। 

उन्होंने बताया कि जिस योग का महत्व हमारे वेदों या उससे भी पहले के साहित्य में मिलता है, आज वही योग दुनियाभर में अपनी प्रसिद्धि पा रहा है। कोरोना महासंकट के कारण योग की उपयोगिता पहले की तुलना में अधिक बढ़ गयी है। इसके फायदों को देखते हुए हर कोई अपनी भागती हुई जिंदगी एवं कोरोना के कारण पैदा हुए जीवन संकट में इसे अपनाता हुआ दिख रहा है। 

उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे ही सही लेकिन लोगों को यह बात समझ में आ रही है कि योग करने से ना केवल कोरोना जैसी बड़ी से बड़ी बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है बल्कि अपने जीवन में खुशहाली भी लाई जा सकती है, जीवन को संतुलित किया जा सकता है, कार्य-क्षमताओं को बढ़ाया जा सकता है, शांति एवं अमन को स्थापित किया जा सकता है।

रसिक महाराज ने कहा कि शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक शांति एवं स्वस्थ्यता के लिये योग की एकमात्र रास्ता है। लेकिन भोगवादी युग में योग का इतिहास समय की अनंत गहराइयों में छुप गया है। वैसे कुछ लोग यह भी मानते हैं कि योग विज्ञान वेदों से भी प्राचीन है। हड़प्पा और मोहन जोदड़ों के समय की पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में अनेक ऐसी मूर्तियां मिली हैं जिसमें शिव और पार्वती को विभिन्न योगासन करते हुए दिखाया गया है। 

दुनिया में भारतीय योग को परचम फहराने वाले स्वामी विवेकानंद कहते हैं-‘‘निर्मल हृदय ही सत्य के प्रतिबिम्ब के लिए सर्वोत्तम दर्पण है। इसलिए सारी साधना हृदय को निर्मल करने के लिए ही है। जब वह निर्मल हो जाता है तो सारे सत्य उसी क्षण उसमें प्रतिबिम्बित हो जाते हैं।…पावित्र्य के बिना आध्यात्मिक शक्ति नहीं आ सकती। अपवित्र कल्पना उतनी ही बुरी है, जितना अपवित्र कार्य।’’ 

आज विश्व में जो आतंकवाद, हिंसा, युद्ध, साम्प्रदायिक विद्धेष की ज्वलंत समस्याएं खड़ी है, उसका कारण भी योग का अभाव ही है। योग हमारी भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम पहचान है। योग-चेतना के जागरण से भावशुद्धि होती है। इसकी प्रक्रिया है आत्मा के द्वारा आत्मा को देखना। राग-द्वेष मुक्त चेतना द्वारा स्वयं ही वृत्तियों, प्रवृत्तियों तथा चित्तदशाओं को देखना। सम्यक् दर्शन ही ‘स्व‘ को बदलने का सशक्त उपक्रम है। स्वयं से स्वयं के साक्षात्कार के प्रयोगों से ग्रंथि-तंत्र के स्राव संतुलित होते हैं। इससे भाव पवित्र रहते हैं, विचार स्वस्थ बनते हैं। इन्हीं से कोरोना जैसी असाध्य महामारी, हिंसा, आतंकवाद, युद्ध एवं तनाव जैसी विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान संभव है।


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Govind Pundir

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