दीपावली के पंच पर्व 2 नवंबर ,मंगलवार से 6 नवंबर तक मनाए जाएंगे-उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल

दीपावली के पंच पर्व 2 नवंबर ,मंगलवार से 6 नवंबर तक मनाए जाएंगे-उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल
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दीपावली पर्व मंगलवार से प्रारंभ होकर शनिवार को समाप्त हो रहा है इसलिए तंत्र मंत्र यंत्र साधना के लिए बन रहा है बहुत बड़ा संयोग

ऋषिकेश। दीपों का उत्सव दीपावली का पर्व पांच दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसे दीपावली के पंच पर्व कहा जाता है। उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल इसकी पौराणिक और प्रमाणिकता पर चर्चा करते हुए बताते हैं कि रामायण को लेकर कई कहानियां हैं, जब भी दशहरा आता है तो उसके 20 दिन बाद दिवाली आती है। जब गूगल मैप पर लंका और अयोध्या की दूरी देखी जाती है तो यह 3150 किलोमीटर बताता है और इसमें वॉकिंग डिस्टेंस भी 20 दिन आता है। भगवान राम को वहां से अयोध्या आने में 20 दिन ही लगे थे। दीपावली का त्यौहार श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।

पंचोत्सव

जैसे नवरात्रि पर नौ दिन, दुर्गा माता के नौ स्वरुपों की आराधना की जाती है, ठीक उसी भांति दीवाली के अवसर पर पंचोत्सव मनाने की परंपरा है। किस दिन क्या पर्व होगा और उस दिन क्या छोटे छोटे कार्य व उपाय करने चाहिए, उसका दैनिक विवरण को समझते हुए यदि इस त्यौहार को मनाया जाता है तो यह पूर्ण रूप से मनुष्य के भाग्य को बदलने की सामर्थ्य रखता है। इसकी शुरुआत धनतेरस से हो जाती है इसके बाद नरक चौदस अन्नकूट और भैय्या दूज का पर्व मनाया जाता है।

दीपावली से जुड़े पांच पर्व अपने साथ सुख-समृद्धि, आरोग्यता, प्रेम और स्नेह को समेटे हुए है। धनतेरस से प्रारंभ होकर पावन पर्व नरक चतुर्दशी, दीपावली महापर्व, गोवर्धन पूजा से होते हुए भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले भाई दूज पर जाकर समाप्त होता है। आस्था और विश्वास के इन पांच दिनों में अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रकार से पूजा करके सुख-समृद्धि और संपन्नता का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

विभिन्न पर्वों के दिवस एवं पर शुभ मुहूर्त

1-धनतेरस-02 नवंबर 2021

दीपावली के पांच महापर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है। धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पावन पर्व 02 नवंबर 2021 को पड़ने जा रहा है। धनतेरस के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करने वाले धन्वंतरि की विशेष पूजा का विधान है। इस दिन को किसी भी प्रकार का सामान आदि खरीदने के लिए अत्यंत ही शुभ माना जाता है। इस दिन प्रदोषकाल में यमराज के लिए चौमुखा दीपक मुख्य द्वार पर जलाया जाता है। इस साल कार्तिक अमावस्या कि तिथि 04 नवंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से शुरू हो कर 05 नवंबर को रात 02 बजकर 44 मिनट तक रहेगी।

धनतेरस 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त 

धनतेरस 2021- 02 नवंबर, मंगलवार

धनतेरस मुहूर्त – शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात के 08 बजकर 11 मिनट तक    

धनतेरस पर शुभ खरीदारी की अवधि :1 घंटे 52 मिनट तक

प्रदोष काल :17:35 मिनट से 20:11 मिनट तक

वृषभ काल :18:18 मिनट से 20:14: मिनट तक

 कुंडली विश्लेषण हस्तरेखा एवं वास्तुशास्त्र में अंतर्राष्ट्रीय हस्ताक्षर माने जाने वाले आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि धनतेरस के बाद दूसरे नंबर पर आता है

2-नरक चतुर्दशी-03 नवंबर

-दीपावली महापर्व का यह दूसरा दिन होता है। जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। यह पर्व इस साल 03 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा। नरक से जुड़े दोष से मुक्ति पाने के शाम के समय द्वार पर दिया जलाया जाता है। मान्यता यह भी है कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हुआ था, इसलिए उनके भक्त इस दिन विधि-विधान से उनकी जयंती मनाते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करके 16,100 कन्याओं को उसके चंगुल से मुक्त कराया था. इस पर्व को रूप चौदस भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उबटन लगाकर स्नान करने से रुप एवं सौंदर्य में वृद्धि होती है।

इस वर्ष नरक चतुर्दशी का त्योहार 04 नवंबर 2021, गुरुवार को मनाया जाता है। यह धनतेरस के बाद मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को कई और नामों से भी मनाया जाता है जैसे- नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी आदि। दिवाली से पहले मनाए जाने के कारण इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है। घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है।

तेल मालिश का समय ) :सुबह 06:06:05 से 06:34:57 तकअवधि :0 घंटे 28 मिनट

3-दीपावली-04 नवंबर

दीपों से जुड़ा महापर्व दीपावली का पावन पर्व इस साल 04 नवंबर 2021 को मनाया जायेगा। इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी, ऋद्धि-सिद्धि के देवता गणपति, धन के देवता कुबेर के साथ महाकाली की पूजा का विधान है। सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए इन सभी देवी-देवताओं की रात्रि में साधना-आराधना की जाती है और उनके स्वागत में विशेष रूप से दीप जलाए जाते हैं।

दिवाली और लक्ष्मी पूजा तिथि- गुरुवार, 04 नवंबर 2021

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : 18:10:28 से 20:06:18 तक

अवधि : 1 घंटे 55 मिनट

प्रदोष काल :17:34:09 से 20:10:27 तक

वृषभ काल : 18:10:28 से 20:06:18 तक

मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर असाध्य रोगों को ठीक करने तथा मानव जीवन की समस्त समस्याओं का समाधान करने के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि दीपावली का सबसे महत्वपूर्ण और सिद्ध समय होता है

दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त और लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : 23:38:52 से 24:30:58 तक

महानिशीथ काल : 23:38:52 से 24:30:58 तक

सिंह काल : 24:42:01 से 26:59:43 तक

दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त

प्रातःकाल मुहूर्त्त (शुभ) :06:34:58 से 07:57:21 तक

प्रातःकाल मुहूर्त्त (चल, लाभ, अमृत): 10:42:09 से 14:49:21 तक

सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल): 16:11:45 से 20:49:32 तक

रात्रि मुहूर्त्त (लाभ): 24:04:55 से 25:42:37 तक

4-गोवर्धन पूजा-05 नवंबर

दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पावन पर्व मनाया जाता है. इस साल यह गोवर्धन पूजा का पर्व 05 नवंबर 2021 को पड़ने जा रहा है। इसे अन्नकूट उत्सव भी कहते हैं. इस दिन घर की गाय और अन्य जानवरों के साथ गोवर्धन की पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन घरों एवं मंदिरों आदि में गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजे जाते हैं।

गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है।  हिदूं पंचांग के अनुसार गोवर्धन का त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी किया जाता है। इस त्योहार में भगवान कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इसी दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग बनाकर लगाया जाता है।  

गोवर्धन पूजा- 05 नवंबर 2021

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त –

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त : 06:37 मिनट  से 08:4 9मिनट तक

अवधि : 2 घंटे 12मिनट

गोवर्धन पूजा का सायंकाल मुहूर्त :15: 21 मिनट से 17:33 मिनट तक

अवधि : 2 घंटे 11 मिनट

5-भाई दूज -06 नवंबर

श्रीमद् भागवत व्यास पीठ पर आसीन होने वाले आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं  कि प्राचीन काल से ही गोवर्धन पूजा के अगले दिन भैया दूज का पर्व मनाया जाता है। इस साल भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला यह पावन पर्व 06 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा। इस दिन यदि संभव हो तो यमुना में जाकर स्नान करना चाहिए। यदि संभव न हो तो नहाने के पानी में यमुना जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन बहनें अपने भाईयों को टीका करती हैं और भाई उसके बदले में उन्हें उपहार देता है।

भाई दूज पांच दिवसीय दीपावली पर्व का आखिरी दिन का त्योहार होता है। भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की मनोकामनाएं मांगती हैं। इस त्योहार को भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया कई नामों से जाना जाता है।

भाई दूज का मुहूर्त 

भाई दूज तिलक का समय : दोपहर 01 बजकर 12 मिनट से लेकर 03 बजकर 24 मिनट तक

*आचार्य जी का परिचय*

नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल

पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता संस्कृत।

निवास स्थान- धर्मपुर चौक के पास अजबपुर रोड पर मोथरोवाला टेंपो स्टैंड 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड।

मोबाइल नंबर-9411153845

*उपलब्धियां*

वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में प्रथम गवर्नर अवार्ड से सम्मानित वर्ष 2016 में। सटीक भविष्यवाणी पर उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार ने दी उत्तराखंड ज्योतिष रत्न की मानद उपाधि। त्रिवेंद्र सरकार ने दिया ज्योतिष विभूषण सम्मान। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी। इसलिए 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त हुआ। ज्योतिष में इस वर्ष 5 सितंबर 2020 को प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त किया। वर्ष 2019 में अमर उजाला की ओर से आयोजित ज्योतिष महासम्मेलन में ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान।


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Govind Pundir

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