बेटियों को बचाओ

बेटियों को बचाओ
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(अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष)

*डॉ सुरेंद्र दत्त सेमल्टी

बेटियों को बचाओ मिटाओ नहीं, 

भ्रूण उनका पेट में जो कटाओ नहीं। 

बिना खेत की फसल कोई उगती नहीं, 

फिर कहीं बीज वह दुनिया में दिखता नहीं। 

बेटियाँ खेत होती हैं, मानव के लिये, 

पैदा करती हैं पालती, वंश वृद्धि के लिये। 

उस खेत को ही नष्ट कर देंगे जो हम, 

मानव दिखेगा नहीं फटा हो ज्यों बम। 

सर्वश्रेष्ठ रचना है ये सृष्टि की, 

पुत्र-पुत्री में है भेद हमारी दृष्टि की।

सिर्फ पुत्रों से नहीं वंश बढ़ पायेगा, 

अकेला पुरुष कुछ नहीं कर पायेगा। 

घरद्वार परिवार सजते हैं नारी से सब, 

परिवार बनते हैं नारी होती है जब। 

माँ बेटियाँ बहिन पत्नियाँ दादियाँ, 

ये जाल बुनता है तब जब होती हैं शादियाँ। 

बिना हाथ के तलवार काम कर सकती नहीं, बेटियों के बिना पीढ़ियाँ बढ़ सकती नहीं। 

इनको बचाना-पालना-पोषना सभी, 

दुनियाँ में आने से कोई न रोकना कभी। 

ये धर्म भी है पुण्य भी है, सदाचार भी,

पढ़ाओ-लिखाओ-बढ़ाओ बेटियों को सभी।


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Govind Pundir

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