होली

होली
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फाल्गुनी लोरी की लय में होरी
सुना रही है

आँगन में बन रही है रंगोली
खुब उड़ रही है रोरी
चेहरे पर अबीर ही अबीर है
रूप में रंग ही रंग

एक बोली
होली गाती थी

होली गाना
सिर्फ़
उसी को ही आता था

उसका नाम है ब्रज!

-गोलेन्द्र पटेल


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Garhninad Desk

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