राजकाज को बेहतर चलाने के लिए राजा-महाराजा लेते थे साधु-संतों का मार्गदर्शन- रसिक महाराज

राजकाज को बेहतर चलाने के लिए राजा-महाराजा लेते थे साधु-संतों का मार्गदर्शन- रसिक महाराज
Please click to share News

लखनऊ। नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि साधु का श्राप भी मंगलकारी होता है। राजकाज को सही ढंग से चलाने के लिए कूटनीति के साथ-साथ राजा में धार्मिक भावना का होना भी जरूरी है। इससे उस राज्य के जन-जन के मन में सात्विकता पैदा होती है। राज्य की सुख-शांति के लिए सात्विकता का होना अहम है। साधु-संतों का आशीर्वाद हमेशा मंगलकारी होता है। सनातन काल से राजदरबार में गुरुजनों, साधु-संतों से सलाह लेकर ही राज्य का संचालन किया जाता था। गुरुजनों की सलाह आम आदमी, राज्य, देश की भलाई के लिया करते थे।
महन्त योगी आदित्यनाथ जी के शपथग्रहण समारोह में पहुंचे जूना अखाड़े के प्रमुख संत नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि साधु का श्राप भी मंगलकारी होता है। कथा प्रसंग में बताया कि राजा परीक्षित, शुकदेव का आतिथ्य करते हुए बोले कि यदि साधु महात्माओं का हमको शाप प्राप्त नहीं होता तो हम राजा लोग राजकार्य में ही लगे रहते। हमारे मन में वैराग्य की भावना नहीं आती और आपका सान्निध्य हमको प्राप्त नहीं होता।

सान्निध्य प्राप्त किए बिना हम भगवान की भक्ति और उनकी कृपा भी प्राप्त नहीं कर सकते हैं। आपका दर्शन सदा सर्वदा मंगलकारी होता है। यदि वाणी से कुछ प्राप्त हो जाए तो हम जैसे लोगों का जीवन सफल हो जाता है। राजा परीक्षित ने शुकदेव से कहा कि आज बड़ा सुंदर अवसर है कि हमें आपका दर्शन प्राप्त हो रहा है। आपके दर्शन से हम और हमारा कुल पवित्र हो रहा है।
हम आपसे यही प्रश्न करना चाहते हैं कि महाराज संसार के प्राणियों को सदा सर्वदा क्या करना चाहिए। जिसे यह पता चल गया हो कि उसकी मृत्यु निकट है तो उसे क्या करना चाहिए। इन्ही दो प्रश्नों का उत्तर शुकदेव महाराज ने राजा परीक्षित को दिया।


Please click to share News

Garhninad Desk

Related News Stories