उत्तराखंडविविध न्यूज़शासन-प्रशासन

यहां चहेतों के लिए चल रहा है अटेचमैन्ट का खेल, सीएम के आदेश हो गए फेल

Please click to share News

खबर को सुनें

देहरादून। उत्तराखन्ड के सभी सरकारी विभागों में कर्मचारियों की सम्बद्धता (अटैचमैन्ट) समाप्त करने के मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी के सराहनीय प्रयास को कुछ विभाग पलीता लगा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमन्त्री ने सभी विभागों में सम्बद्ध कार्मिकों की तत्काल प्रभाव से सम्बद्धता समाप्त कर उनके मूल विभाग में वापस भेजे जाने के निर्देश दिये थे।

मुख्यमंत्री ने स्वयं सचिवालय व अपने आवास, कार्यालय में तैनात कर्मचारियों की सम्बद्धता खत्म कर दी थी। सहकारिता, कृषि,परिवहन, शिक्षा व विधानसभा में भी सभी कार्मिकों का अटैचमैन्ट समाप्त कर उनके मूल तैनाती स्थल हेतु कार्यमुक्त कर दिया गया था। सर्वप्रथम विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खन्डूरी ने भी पहल कर विस में तैनात उन सभी सम्बद्व कार्मिको को तत्काल प्रभाव से हटा दिया था। कृषि मन्त्री गणेश जोशी ने कृषि विभाग से अटैचमैन्ट सिस्टम को समाप्त कर ऐसे कर्मचारियों को कार्यमुक्त कर दिया था।

इसके विपरीत निदेशालय राज्य कर्मचारी बीमा योजना देहरादून ने नियमों को दर किनार कर अपने चहेते चीफ फार्मेसिस्ट बरकत अली की सम्बद्धता समाप्त न कर उन्हें पुनः निदेशालय में समायोजित कर लिया है। जबकि अन्य सम्बद्ध कार्मिक अपने मूल तैनाती स्थान पर वापस चले गये। बताया जाता है कि सियासी रसूखों के चलते उक्त चीफ फार्मेसिस्ट कई सालों से अपनी सुविधानुसार वर्ष 2016 से निदेशालय में सम्बद्ध रहकर कार्यरत है। जबकि उसका मूल तैनाती स्थल रूडकी स्थित भगवानपुर है। हैरानी की बात तो यह है कि निदेशालय में चीफ फार्मेसिस्ट का कोई अतिरिक्त पद भी रिक्त नही है । निदेशालय में पहले से ही दो अन्य चीफ फार्मेसिस्ट कार्यरत है। सवाल उठता है कि सीएम के निर्देश पर जब सभी विभागों में सम्बद्वता पर पूर्णरूप से प्रतिबन्ध लगा हुआ है तो निदेशालय राज्य कर्मचारी बीमा योजना ने नियमों को ताक पर रखकर सम्बद्वता समाप्त करने की बजाय उक्त चीफ फार्मेसिस्ट बरकत अली को फिर से निदेशालय में तैनाती के आदेश क्यों जारी कर दिये।

यह भी जानकारी मिली है कि ई0एस0आई में कर्मचारियों की कमी दर्शाकर अटैचमैन्ट का बहाना बनाया गया है। उक्त अटैचमैन्ट को लेकर चर्चा है कि सेटिंग- गेटिंग का मोटा खेल खेला गया है। जबकि इस सम्बन्ध में श्रम विभाग के अनुसचिव देवेंद्र सिंह चौहान ने विगत 18 अप्रैल 2022 को अपने पत्र संख्या 1/29785 /v।।। -1-22-04( ईएसआई ) 2022 को राज्य कर्मवारी बीमा योजना के निदेशक को आदेशित किया था कि ऐसे सभी सम्बद्व कार्मिकों को तत्काल प्रभाव से उनके मूल तैनाती कार्यस्थल हेतु कार्यमुक्त किया जाए। ईएसआई निदेशालय ने देर आये दुरस्त आये की नीति पर अमल करते हुए लगभग चार माह के पश्चात अपने कार्यालय आदेश संख्या 151-2022-23/432 दिनांक 2 अगस्त 2022 को ईएसआई निदेशालय एवं औषधालयों में सम्बद्व समस्त कार्मिको की सम्बद्वता तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का आदेश तो जारी कर दिया लेकिन अपने आदेश के कुछ ही दिनों बाद निदेशक ने निदेशालय से सम्बद्व एक चीफ फार्मेसिस्ट का अटेचमैन्ट खत्म न कर उसकी तैनाती निदेशालय में ही कर दी। इस सम्बन्ध में ईएसआई निदेशक का कहना है कि निदेशालय में कार्मिकों की कमी की वजह से ऐसा किया गया है। सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के अनुसार यह सारा खेल श्रम सचिव के स्तर पर ही हुआ है। शासन का अनुमोदन लिये बगैर ही गुपचुप तरीके से सम्बद्व चीफ फार्मेसिस्ट के लिए पद सृजित कर दिया गया।
इस मामले में ईएसआई के मुख्यचिकित्साधिकारी डा0 आकाश दीप के पास निदेशालय में अटैचमैन्ट किये गये चीफ फार्मेसिस्ट की तैनाती के बावत कोई लिखित आदेश तो नही पहुंचे लेकिन अपने उच्चअधिकारियों के मौखिक आदेश पर उन्होंने चीफ फार्मेसिस्ट को ज्वाइनिंग करा दी ।
बहरहाल अन्य सम्बद्व कार्मिकों को हटाकर केवल एक व्यक्ति की खातिर नियमों की अवेहलना कर उसे सम्बद्ध किये जाने को लेकर निदेशालय के कर्मचारियों मे रोष है। वहीं निदेशालय मे चीफ फार्मेसिस्ट पद पर कार्यरत एक मात्र महिला शशि जोशी जिन्हें शासन ने सम्बद्व किया था उन्हें भी मूल तैनाती स्थल पर जाने के आदेश दिये गये है। कर्मचारियों का कहना है कि विभाग की यह दोहरी नीति गलत है। सवाल यह है कि मुख्यमन्त्री के आदेशों को ईएसआई क्यों ठेंगा दिखा रहा है।

इस मामले में मुख्यमन्त्री से उम्मीद है कि ईएसआई मे मनमर्जी सें किये गये सम्बद्वता के मामले का संज्ञान लेते हुए उन अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे जो नियम विरूद्व सम्बद्धता को जायज ठहरा रहे हैं।


Please click to share News

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!