कविता में किन्नर

कविता में किन्नर
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प्रिय दोस्त!
न स्त्री
न पुरुष
न ही अर्द्धनारिश्वर हो तुम

तुम कविता में किन्नर हो
यानी थर्ड जेंडर
_ ट्रांसजेंडर
लफ़ंगों की भाषा में हिजड़ा
तुम्हारा गात
गोया गम का पिंजड़ा
पर तुम मुझे पसंद हो!…

इस सृष्टि में
तुम्हारी ताली
कुदृष्टि के लिए
गाली है
तुम भी उसी कोख से उत्पन्न हुए हो
जिससे मैं
तुम देश की संतान हो
मेरे दोस्त!

रचना : 20-12-2022


कवि : गोलेन्द्र पटेल
संपर्क :
डाक पता – ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।
पिन कोड : 221009
व्हाट्सएप नं. : 8429249326
ईमेल : corojivi@gmail.com


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Garhninad Desk

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