ईश्वर से प्रेम करें, वासनाओं के त्याग से ही प्रभु से मिलन संभव- नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज

ईश्वर से प्रेम करें, वासनाओं के त्याग से ही प्रभु से मिलन संभव- नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
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चण्डीगढ़ 26 दिसम्बर। दिव्य कलश यात्रा के साथ सैक्टर 40 बी में कल भागवत कथा आरम्भ हुई। श्रीमद्भागवत कथा बड़े से बड़े पापियों को भी पापमुक्त कर देती है। जो व्यक्ति भागवत कथा आत्मसात कर लेता है, वह सांसारिक दुखों से मुक्त हो जाता है। यह विचार पार्क नंबर 18 में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन कथावाचक नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक जी महाराज ने श्रोताओं को कथा का सपान कराते हुए प्रकट किया।


कथावाचक ने कहा कि जीवन में यदि मान, बड़ा पद या प्रतिष्ठा मिला जाए तो उसे ईश्वर की कृपा मानकर भलाई के कार्य करना चाहिए, लेकिन यदि उसका जीवन में किंचित मात्र भी अभिमान हुआ तो वह पाप का भागीदार बना देता है। कहा कि अहंकार से भरे राजा परीक्षित ने जंगल में साधना कर रहे शमीक ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया। परिणामस्वरूप राजा परीक्षित को एक सप्ताह में मृत्यु का शाप मिला। जब परीक्षित ने अपने सिर से स्वर्ण मुकुट को उतारा तो उन पर से कलियुग का प्रभाव समाप्त हो गया और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
कथावाचक ने कहा कि जब जब भगवान के भक्तों पर विपदा आती है तब भगवान उनके कल्याण के लिए सामने आते हैं। परीक्षित को भवसागर से पार लगाने के लिए अब भगवान शुकदेव के रूप में प्रकट हो गए और श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर परीक्षित को अपने चरणों में स्थान प्रदान किया। उन्होंने महाभारत के कई प्रसंग भी सुनाए। कर्ण और भगवान श्रीकृष्ण के बीच संवाद को बताते हुए उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान जब कर्ण की भगवान कृष्ण से चर्चा हुई तो कर्ण ने कहा कि मृत्यु के बाद ऐसी जगह मेरा दाह संस्कार हो जहां आज तक किसी का नहीं हुआ। भगवान ने उसकी मृत्यु के बाद कर्ण का अंतिम संस्कार अपने हाथों से किया। कृष्ण और विदुर का प्रसंग भी सुनाया गया।
कथावाचक ने कहा कि नारायण की भक्ति में ही परम आनंद मिलता है। उसकी वाणी सागर का मोती बन जाता है। भगवान प्रेम के भूखे हैं। वासनाओं का त्याग करके ही प्रभु से मिलन संभव है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि वासना को वस्त्र की भांति त्याग देना चाहिए। भागवत कथा का जो श्रवण करता है भगवान का आशीर्वाद बना रहता है। इस दौरान यज्ञाचार्य महेंद्र बेलवाल, पं. रवि बेलवाल , पं. रमेश शुक्ल व मुख्य यजमान नृसिंह भक्ति सेवा संस्थान के पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। इससे पहले दुर्गा मंदिर सैक्टर 41 से बैंड बाजों के साथ कलश यात्रा राधा कृष्ण मंदिर सैक्टर 40 होते हुए कथा स्थल पर पंहुची जिसमें 108 महिलाओं नें सिर पर कलश रखकर यात्रा में भाग लिया


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Govind Pundir

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