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मांगों के समर्थन में उपनल कर्मियों की हड़ताल शुरू

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देहरादून / पौड़ी/ टिहरी गढ़वाल 12 फरवरी। उपनल कर्मचारियों ने विभिन्न मांगों को लेकर देहरादून में परेड ग्राउंड से सचिवालय तक विशाल रैली निकाली। सचिवालय पहुंचने पर पुलिस ने कर्मचारियों को बड़ी मात्रा में बैरिकेडिंग कर बाहर ही  रोक दिया। उपनल के कुछ पदाधिकारियों ने सचिवालय के संबंधित अधिकारियों से लंबी वार्ता की, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही और कर्मचारी अपनी मांगों पर अडिग खड़े रहे । पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री जी से मिलने का समय मांगा लेकिन समय न मिलने से नाराज कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी।कर्मचारियों का कहना है कि जब तक नियमितीकरण से लेकर सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक हड़ताल निरंतर चलती रहेगी ।

बता दें कि आज से प्रदेश कार्यकारिणी के आह्वान पर अन्य जनपदों में भी उपनल कर्मी कार्य बहिष्कार पर चले गए हैं। पौड़ी जिले में करीब 1600 उपनल कर्मी विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं। उपनल कर्मचारियों के हड़ताल में चले जाने से विभिन्न विभागों में कामकाज प्रभावित रहा।सोमवार को कार्य बहिष्कार करते हुए रामलीला मैदान पौड़ी में उपनल संविदा कर्मचारी संगठन के जिलाध्यक्ष अरविंद कुमार, संरह मुकेश सेमवाल ने कहा कि पिछले लंबे समय से मानदेय में 40 फीसदी की बढ़ोतरी करने, समान कार्य के लिए समान वेतन देने, हटाए हुए कर्मचारियों को फिर से बहाल करने आदि की मांग सरकार से की जा रही है लेकिन सरकार कर्मचारियों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। उपनल कर्मचारियों के बहिष्कार पर चले जाने से डीएसओ, कृषि, वन, आयुर्वेदिक विभाग, शिक्षा विभाग, भरसार विश्वविद्यालय में कामकाज प्रभावित रहा। 

ये हैं उपनल कर्मचारियों की मुख्य मांगें:-

मा० सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन एलएलपी को वापस लिया जाए तथा मा० उच्च न्यायालय नैनीताल के निर्णय को लागू किया जाए। जिसमें कहा है कि उपनल कर्मचारी की नियमावली बनाकर उन्हें नियमित किया जाए ।

उपनल कर्मचारियों के वेतन में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी की जाए। उपनल कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाये। प्रोत्साहन दिए जाने हेतु वर्षवार निर्धारण 0 से 5 वर्ष, 5 से 10 वर्ष, तथा 10 से 15 वर्ष के अनुसार किया जाए। जिन कर्मचारियों को लगातार 5 वर्ष से अधिक का समय कार्य करते हुए हो गया है 5 उनके पद सृजित किए जाए। समान कार्य समान वेतन दिया जाए। जिस तरह पंजाब हरियाणा व अन्य राज्यों में आउटसोर्स कर्मचारी को नियमित किया गया है । उसको आधार बनाया जाए । जब तक मामला कोर्ट में विचाराधीन है तब तक किसी भी कर्मचारी को प्रभावित न किया जाए  आदि ।


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