पाँच दिवसीय ‘मिलकर रहना सीखो’ शिविर

पाँच दिवसीय ‘मिलकर रहना सीखो’ शिविर
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शैक्षिक भ्रमण से स्वयं सीखते हैं बच्चे, व्यावहारिक ज्ञान ता उम्र फायदेमंद

देहरादून। उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय ‘मिलकर रहना सीखो शिविर’ के दौरान बच्चों को देहरादून के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करवाया गया।

प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्र के बच्चे अपनी दैनिक जीवन की शान्त जीवनशैली से बाहर निकलकर शहर की भागमभाग वाली स्थिति देखकर भविष्य के प्रति चिंतनशील देखे गए। शिविर का उद्देश्य भी यही है कि अभावग्रस्त एवम् जरुरतमंद बच्चों के हुनर की पहचान कर उन्हें सही प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया जाए।
भ्रमण के दौरान महासचिव पुष्पा मानस ने बच्चों को बुद्धा टैंपल के बारे में जानकारी दी, बच्चे भगवान बौद्ध के बताए गए सिद्धांत और उनके आचरण से प्रभावित होते दिखाई दिए।
संयुक्त सचिव कमलेश्वर प्रसाद भट्ट ने बच्चों को भगवान बुद्ध के पांच सिद्धांतों के बारे में बताया। उन्होंने बताया बौद्ध धर्म में नैतिकता के आधार पर पांच उपदेश जीवन को सुखमय और शांतिपूर्ण बनाने में मदद करते हैं।
ये पांच सिद्धांत इस प्रकार हैं हिंसा न करना अर्थात् जीवों को किसी भी प्रकार से शारीरिक अथवा मानसिक नुकसान न पहुंचाना, दूसरा चोरी न करना, तीसरा यौन दुराचार से बचना, चौथा झूठ न बोलना और पांचवां किसी भी प्रकार का नशा न करना।
तब चाहे कोई गृहस्थ जीवन में हो या फिर भिक्षु, ये पांच सिद्धांत सभी के लिए समान हैं।
दोपहर बाद हिमालयन वेलनेस कंपनी उत्तराखंड देहरादून में बच्चों का लंच हुआ। हिमालय वेलनेस कंपनी जो कि पहले हिमालय ड्रग कंपनी के नाम से जानी जाती थी, एक भारतीय बहुराष्ट्रीय व्यक्तिगत देखभाल और दवा कंपनी है। कम्पनी मुख्य रूप से आयुर्वेदिक सामग्री से बने स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों का उत्पादन करती है, जो “हिमालय हर्बल हेल्थकेयर” ब्रांड नाम के तहत बेचे जाते हैं।
डॉ एस फारूख बड़े शायराना अंदाज़ में बच्चों से रूबरू हुए, उन्होंने औषधीय गुणों वाले पौधों के बारे में भी जानकारी दी। डॉ फारूख ने मानव की जिह्वा के बदलते हुए रंग के आधार पर होने वाली बीमारियों के बारे में बताया। बच्चों से खुलकर बातचीत करते हुए उनके संतोषजनक जवाब देने पर उन्हें उपहार भी दिए। ग्रामीण क्षेत्र से आए कुछ शिविरार्थियों ने लिफ्ट का आनन्द लिया। रेल ईंजन, ओल्ड मॉडल की कार और हैली सेवा जैसे मॉडल के साथ बच्चों ने फोटो भी खिंचवाए। वापसी में राजभवन का दीदार करते हुए बच्चे बालभवन पहुंचे। सायंकालीन संध्या के बाद बच्चों ने कैम्प फायर के माध्यम से अपनी -अपनी लोक संस्कृति का आदान प्रदान किया। कैम्प फायर के मुख्य अतिथि डॉ एस एस नेगी (पूर्व निदेशक, आई आर डी ई) ने बच्चों का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि हम सभी ग्रामीण परिवेश से आते हैं, हमें अपने माता पिता की श्रम शक्ति को ध्यान में रखते हुए मेहनत करनी चाहिए। माता पिता के साथ ही गुरुजनों का विश्वास जीतना चाहिए, तभी हम अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अभाव कभी भी आगे बढ़ने में अवरोधक नहीं होता। जरूरत है लग्न, दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास की ।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष मधु बेरी ने कहा कि बालमन को खुश रखना बहुत बड़ा उपहार है, अभी बच्चों को उचित प्लेटफार्म देंगे तो हम अपना भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं।
शिविर में वरिष्ठ उपाध्यक्ष जगदीश बाबला, उपाध्यक्ष मधु बेरी, महासचिव पुष्पा मानस, संयुक्त सचिव कमलेश्वर प्रसाद भट्ट, पूर्व महासचिव वी के डोभाल, आजीवन सदस्य आनन्द सिंह रावत, कांता प्रसाद सती, कुसुम कोठारी, मोहन सिंह खत्री, कविता दत्ता सहित एस्कॉर्ट्स शिक्षक उपस्थित रहे। शिविर व्यवस्थित रूप से संचालित करने में योगंबर सिंह रावत, मंजीत, अनुराज, हीना और मीनू का सराहनीय योगदान रहा।


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Garhninad Desk

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