महिलाओं की मिसाल बनीं सुनीता सजवाण: गांव की सीमाओं से निकलकर आत्मनिर्भरता की उड़ान

महिलाओं की मिसाल बनीं सुनीता सजवाण: गांव की सीमाओं से निकलकर आत्मनिर्भरता की उड़ान
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टिहरी गढ़वाल 11 मई 2025। जहां चाह, वहां राह—इस कहावत को हकीकत में बदल दिखाया है टिहरी जिले की तहसील गजा की रहने वाली सुनीता सजवाण ने। कभी घर तक सीमित रहने वाली सुनीता आज राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) से जुड़कर न केवल अपनी पहचान बना चुकी हैं, बल्कि सैकड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गई हैं।

साल 2019, गांव की कुछ महिलाओं के साथ मिलकर सुनीता ने ‘मातृशक्ति स्वयं सहायता समूह – भाली’ की नींव रखी। समूह की अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने अपने नेतृत्व कौशल से अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई। उन्होंने कम ब्याज दर पर ऋण दिलवाकर कई महिलाओं को छोटे-छोटे व्यवसायों की ओर प्रेरित किया, जिससे गांव में आजीविका के नए रास्ते खुले।

सुनीता खुद अपने पति यशपाल सजवाण के साथ मिलकर गजा बाजार में दूध डेयरी, चाय-पकौड़ी, जलेबी-समोसे जैसे खाद्य उत्पादों की दुकान चला रही हैं। पहले जहां उन्हें दूध के स्टोरेज की समस्या थी, वहीं एन.आर.एल.एम. से मिली ₹55,000 की सहायता राशि से उन्होंने 250 लीटर का डिप फ्रीजर खरीदा। आज वे हर माह करीब ₹15,000 की बचत कर आर्थिक रूप से अपने परिवार को मजबूती दे रही हैं।

सुनीता कहती हैं, “पहले सिर्फ घर के काम तक सीमित थी, लेकिन एन.आर.एल.एम. ने मुझे खुद पर विश्वास करना सिखाया। मोदी सरकार और धामी सरकार की योजनाओं ने हमें न केवल सशक्त बनाया, बल्कि समाज में एक पहचान भी दी।”

वहीं, उनके पति यशपाल बताते हैं कि दूध व्यवसाय पहले से चला आ रहा था, लेकिन समूह से जुड़ने के बाद संग्रहण की सुविधा मिलने से अब वे गांव की अन्य महिलाओं के दूध का भी संग्रह कर, उन्हें आर्थिक रूप से जोड़ पा रहे हैं।

सुनीता की कहानी यहीं नहीं रुकती। 2019 में उन्होंने सिलाई प्रशिक्षण भी लिया था और कोरोना काल से पहले तक महिलाओं को सिलाई सिखाकर स्वरोजगार से जोड़ने का कार्य किया। हालांकि, आंखों की तकलीफ के चलते उन्हें सिलाई छोड़नी पड़ी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अब पति के साथ मिलकर डेयरी को नया मुकाम दे रही हैं।

सुनीता सजवाण आज उन हजारों ग्रामीण महिलाओं की प्रतीक बन चुकी हैं, जो सही मार्गदर्शन, सरकारी योजनाओं और आत्मविश्वास के सहारे गरीबी की दीवारों को तोड़कर आत्मनिर्भरता की ऊंचाई छू रही हैं। उनके प्रयास यह दिखाते हैं कि अगर संकल्प हो तो कोई भी महिला अपनी किस्मत खुद लिख सकती है।


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Govind Pundir

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