पंचायत आरक्षण में मनमानी पर कांग्रेस का हमला: कहा ओबीसी-एससी-एसटी के अधिकारों की हुई अवहेलना

पंचायत आरक्षण में मनमानी पर कांग्रेस का हमला: कहा ओबीसी-एससी-एसटी के अधिकारों की हुई अवहेलना
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टिहरी गढ़वाल 21 जून 2025 । उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन 2025-26 को लेकर राज्य सरकार के आरक्षण निर्धारण को लेकर सियासी विवाद गहराता जा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर संविधान विरोधी कार्यप्रणाली अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा सरकार ने न केवल ट्रिपल टेस्ट जैसी संवैधानिक प्रक्रिया को नजरअंदाज किया, बल्कि आरक्षण चक्र में मनमाना बदलाव कर सामाजिक न्याय की मूल भावना को भी क्षत-विक्षत किया है।

एडववोकेट श्री शांति प्रसाद भट्ट जी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व जिला अध्यक्ष एडवोकेट शांति प्रसाद भट्ट एवं याचिका कर्ता मुरारी लाल खंडवाल ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह आरक्षण का अंतिम चरण था और इस समय आरक्षण चक्र में हस्तक्षेप करना लोकतंत्र के साथ सरासर धोखा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने ना सिर्फ तय प्रक्रिया का उल्लंघन किया, बल्कि 10 जून को जारी आरक्षण की अनंतिम सूची को 11 जून को अचानक रद्द कर एक नई सूची जारी कर दी और इस बार कोई आपत्ति आमंत्रित नहीं की गई। इससे यह साफ हो जाता है कि पूरी प्रक्रिया पूर्वनियोजित और पक्षपातपूर्ण तरीके से की गई।

भट्ट ने आरोप लगाया कि सरकार ने यह भी नहीं स्पष्ट किया कि आरक्षण किस आधार पर तय किया गया है। एक तरफ सरकार कह रही है कि केवल 12 जिलों में चुनाव होंगे, जबकि आरक्षण सूची 13 जिलों की संयुक्त जनसंख्या के आधार पर तैयार की गई है। इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों की जनसंख्या को घटाने की प्रक्रिया भी नहीं अपनाई गई, जिससे आरक्षण गणना और संतुलन में गंभीर त्रुटियां सामने आई हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि संविधान के 73वें संशोधन के तहत अनुच्छेद 243D में स्पष्ट प्रावधान है कि पंचायतों में आरक्षण चक्रानुक्रम से लागू किया जाएगा। यही प्रावधान राज्य के पंचायती राज अधिनियम 2016 में भी शामिल है, लेकिन सरकार ने इस व्यवस्था को तोड़ते हुए अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी वर्गों का हक छीना है। यह कार्य न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों पर सीधा प्रहार है।

एडवोकेट भट्ट ने यह भी कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले को भी नजरअंदाज कर दिया है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि स्थानीय निकायों में ओबीसी को आरक्षण देने से पहले अनुभवजन्य अध्ययन, आयोग की स्थापना और 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा का पालन अनिवार्य है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने ऐसा कोई आयोग गठित किया, क्या कोई स्वतंत्र रिपोर्ट सार्वजनिक की गई, और क्या सीटें आरक्षित करते समय 50% की सीमा का पालन हुआ?

कांग्रेस नेता व याचिका कर्ता मुरारी लाल खंडवाल ने मांग की कि सरकार इस पूरी प्रक्रिया पर पुनर्विचार करे, आरक्षण चक्र को पुनः चक्रानुक्रम के अनुसार तय करे और ओबीसी, अनुसूचित जाति तथा जनजाति वर्गों को उनका न्यायोचित हक दे। साथ ही उन्होंने इस मुद्दे को न्यायालय में चुनौती देने की भी बात कही, ताकि लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्था को कायम रखा जा सके।

उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की नीतियों से न केवल संवैधानिक संस्थाओं का अपमान हो रहा है, बल्कि समाज के वंचित वर्गों में सरकार के प्रति विश्वास भी टूट रहा है। कांग्रेस इस लड़ाई को सड़क से लेकर सदन और न्यायालय तक लड़ेगी ताकि सामाजिक न्याय और जन प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।

पत्रकार वार्ता में मुरारीलाल खण्डवाल याचिकाकर्ता माननीय उच्च न्यायालय, शान्ति प्रसाद भट्ट एडवोकेट प्रदेश प्रवक्ता उत्तराखंड कांग्रेस, सोबन सिंह नेगी पूर्व ब्लॉक प्रमुख चम्बा,विजय गुनसोला, पूर्व ब्लॉक प्रमुख प्रदेश महामंत्री, नरेंद्र चंद रमोला, पूर्वसदस्य जिला पंचायत, पूर्व विधानसभा प्रत्याशी, साबसिंह सजवान, ब्लॉक अध्यक्ष चम्बा,कुलदीप पंवार अध्यक्ष शहर कांग्रेस कमेटी नई टिहरी, लखवीर सिंह चौहान अध्यक्ष जिला युवा कांग्रेस टिहरी,मनीष पंत आदि मौजूद रहे।


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Govind Pundir

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