CRISPR-Cas एवं बायोइनफॉर्मेटिक्स एप्लीकेशन पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का सफल समापन

ऋषिकेश, 01 मई 2025 । उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (UCOST) के तत्वावधान में एवं डीएनए लैब्स, देहरादून के सहयोग से पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर, ऋषिकेश स्थित मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग में “CRISPR-Cas एवं बायोइनफॉर्मेटिक्स एप्लीकेशन इन रिसर्च एंड थैरेपी: माइक्रोबायल जेनेटिक मैनिपुलेशन” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला एवं हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।
कार्यशाला के समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जॉलीग्रांट के निदेशक (हॉस्पिटल सर्विस) प्रो. हेमचन्द्र पांडे ने CRISPR तकनीक के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह जीनोम में विशिष्ट परिवर्तन की सुविधा प्रदान करने वाली आधुनिक तकनीक है, जो चिकित्सा और जैव प्रौद्योगिकी में क्रांति ला सकती है। उन्होंने छात्रों से ऐसी कार्यशालाओं में बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील की।
विशिष्ट अतिथि एम्स ऋषिकेश की वरिष्ठ बायोकेमिस्ट्री प्रोफेसर डॉ. मनीषा नैथानी ने कहा कि आनुवंशिक दोषों से उत्पन्न बीमारियों के उपचार में CRISPR तकनीक अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे परिसर निदेशक प्रो. एम.एस. रावत ने सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ से स्वागत करते हुए कार्यशाला के सफल आयोजन पर टीम को बधाई दी। संयोजक एवं विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. गुलशन कुमार ढींगरा ने प्रतिभागियों और अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस कार्यशाला में देशभर से आए प्रतिभागियों को अत्यंत उपयोगी प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है।
डीएनए लैब्स के प्रमुख डॉ. नरोत्तम शर्मा ने CRISPR-Cas तकनीक के सिद्धांत, प्रयोग, एवं अनुप्रयोगों पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि यह तकनीक न केवल आनुवंशिक रोगों के उपचार बल्कि कृषि क्षेत्र में भी उपयोगी सिद्ध हो रही है।
कार्यशाला के दूसरे दिन कंप्यूटेशनल CRISPR विश्लेषण पर आधारित तकनीकी सत्र में प्रतिभागियों को बायोइनफॉर्मेटिक्स टूल्स, गाइड RNA डिज़ाइन, जीन संपादन तकनीक, एवं बैक्टीरिया-यूकेरियोटिक सेल्स में CRISPR संपादन के बारे में गहन जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं:
- ओरल प्रेजेंटेशन: डॉ. द्विज आहूजा (प्रथम), डॉ. गौरी बेंद्रे (द्वितीय), सरीन सैम (तृतीय)
- वैज्ञानिक रंगोली प्रतियोगिता: रिंकी पांडे व रितु पांडे (प्रथम), दिव्या सिंह व श्रुति बिष्ट (द्वितीय), पायल व आंचल (तृतीय)
- पोस्टर प्रतियोगिता: डॉ. अंशुम झा (प्रथम), डॉ. शिवानी कपूर (द्वितीय), डॉ. यशस्वी भंडारी (तृतीय)
इन प्रतियोगिताओं के निर्णायक थे ऋषिकेश परिसर के प्रो. अहमद परवेज और एम्स ऋषिकेश की डॉ. बेला गोयल।
कार्यक्रम के दौरान उच्च शिक्षा एवं विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले सात शिक्षकों को सम्मानित किया गया, जिनमें प्रमुख नाम हैं डॉ. गगन माटा (गुरुकुल कांगड़ी), डॉ. पूजा नौडियाल, डॉ. ज्योत्सना सेठ, डॉ. एस. करपगवल्ली, डॉ. बिंदु ठाकुर, डॉ. निधि महेन्द्रु और डॉ. विकास सैनी।
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर डॉ. सुनीति कुड़ियाल, शालिनी कोठियाल, अर्जुन पालीवाल, सफिया हसन, निशात भाटला, देवेंद्र भट्ट, पवन कुमार, श्रवण दास, कमल कुमार व चंद्रशेखर राजभर का विशेष सहयोग रहा।