रामलीला का तीसरा दिन: अहिल्या उद्धार और सीता स्वयंवर ने बांधा समां

रामलीला का तीसरा दिन: अहिल्या उद्धार और सीता स्वयंवर ने बांधा समां
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टिहरी गढ़वाल 26 मई 2025 । नई टिहरी के बौराड़ी स्टेडियम में नवयुवक श्रीकृष्ण रामलीला समिति 1952 (पंजी.) के तत्वावधान में आयोजित भव्य और हाईटेक रामलीला किसी जादुई समययात्रा से कम नहीं !

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यह मंचन त्रेता युग की जीवंत तस्वीर है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों, धर्म के गहन संदेशों और भक्ति की मधुर धारा से दर्शकों के हृदय को सराबोर कर रहा है। सायंकाल की आरती के साथ जब मंच पर श्रीराम की लीलाएँ जीवंत होती हैं, तो वातावरण में भक्ति का ऐसा रंग घुलता है कि हर दिल “जय श्री राम” के उद्घोष से गूंज उठता है।

” श्री सतीश थपलियाल जी, इस रामलीला के कुशल संचालक, अपनी मधुर वाणी और गहन व्याख्या से दृश्यों को और जीवंत बनाते हैं। उनके “जय श्री राम” के उद्घोष से दर्शकों में जोश और भक्ति का ज्वार उमड़ पड़ता है, मानो हर कोई त्रेता युग में श्रीराम के साथ कदम मिलाकर चल रहा हो।”

तीसरे दिन की अलौकिक लीला : रात्रि 9 बजे शुरू हुई तीसरे दिन की रामलीला ने दर्शकों को भावनाओं के सागर में डुबो दिया। मंच पर जीवंत हुआ अहिल्या उद्धार का हृदयस्पर्शी प्रसंग। जब श्रीराम ने अपने चरणों के स्पर्श से तपस्विनी अहिल्या को पाषाण रूप से मुक्ति दी, तो मंच पर दया, क्षमा और प्रायश्चित का ऐसा संगम हुआ कि दर्शकों की आँखें अनायास नम हो उठीं। यह दृश्य केवल एक कथा नहीं, बल्कि करुणा और पवित्रता का जीवंत दर्शन था, जिसने हर हृदय को छू लिया।

इसके साथ ही गौरी-सीता संवाद, सीता स्वयंवर में देश-विदेश के राजाओं का आगमन और परशुराम-लक्ष्मण संवाद ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पंचवटी की रमणीय पृष्ठभूमि, वन गमन की झलक और मंत्रमय संगीत ने मंच को त्रेता युग का स्वरूप दे दिया। कलाकारों की भाव-भंगिमाएँ, संवादों की गहराई और मंच सज्जा की भव्यता ने यह साबित कर दिया कि टिहरी की रामलीला केवल एक नाट्य मंचन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उत्सव है, जो आत्मा को शांति और प्रेरणा से भर देता है।

हाईटेक रामलीला: वैश्विक मंच पर श्रीराम की लीलाएँ पहली बार टिहरी की रामलीला को हाईटेक तकनीक का सहारा मिला है। यमुना टीवी और विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर इसका सीधा प्रसारण हो रहा है, जिससे देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु श्रीराम की लीलाओं का आनंद ले रहे हैं। यह तकनीक का वह सुंदर उपयोग है, जो सनातन संस्कृति को वैश्विक मंच पर ले जा रहा है, और हर भक्त के हृदय में श्रीराम के चरित्र को और गहराई से उतार रहा है।

कार्यक्रम में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच, टिहरी गढ़वाल के सम्मानित आंदोलनकारियों को आमंत्रित कर उनका सम्मान किया गया तथा श्रीदेव सुमन जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण किया गया, जो समिति की सामाजिक प्रतिबद्धता और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

भक्ति और संस्कृति का संगम: इस भव्य आयोजन में समिति के अध्यक्ष देवेंद्र नौडियाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष भगवान चंद रमोला, पालिका अध्यक्ष मोहन सिंह रावत, मनोज राय उर्फ बंटी भाई जो रावण की बेहतरीन भूमिका निभा रहे हैं, उपाध्यक्ष जशोदा नेगी, महासचिव अमित पंत, कमल सिंह महर, राकेश भूषण गोदियाल, राजेंद्र असवाल, महीपाल नेगी, चंडी प्रसाद डबराल, शिष्टानंद पांडेय, अनुसूया नौटियाल, मनोज शाह, अनुज पंत, चरण सिंह नेगी, अनुराग पंत, राजीव रावत, तपेंद्र चौहान, गोविंद पुंडीर, गंगा भगत नेगी, नंदू वाल्मीकि, वेश भूषण जोशी, हरीश घिल्डियाल, राकेश मोहन भट्ट, मनीष पंत, शंकर सैनी समेत असंख्य श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया।

टिहरी की यह रामलीला केवल मनोरंजन का साधन नहीं,बल्कि एक ऐसी आध्यात्मिक यात्रा है, जो धर्म, मर्यादा और करुणा के आदर्शों को जीवन में उतारने की प्रेरणा देती है। जैसे-जैसे रामलीला के अगले दिन नजदीक आ रहे हैं, दर्शकों का उत्साह और भक्ति का ज्वार और भी प्रबल हो रहा है। यह आयोजन हर उस व्यक्ति के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव है, जो सनातन संस्कृति और श्रीराम के चरित्र से प्रेम करता है।आइए, इस भक्ति और संस्कृति के महोत्सव में शामिल हों! श्रीराम की लीलाओं का आनंद लें और उनके आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करें। यह रामलीला न केवल एक मंचन है, बल्कि एक ऐसा अनुभव है, जो आत्मा को प्रेरित करता है और हृदय को भक्ति से भर देता है।

* गोविन्द पुंडीर, संपादक


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Govind Pundir

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