हथकरघा की बुनाई से बदली जिंदगी: उषा नकोटी बनीं ग्रामीण महिलाओं की प्रेरणा

हथकरघा की बुनाई से बदली जिंदगी: उषा नकोटी बनीं ग्रामीण महिलाओं की प्रेरणा
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टिहरी गढ़वाल 7 जून 2025। 25-30 महिलाओं को रोजगार देकर पेश कर रही हैं महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल”टिहरी गढ़वाल के चंबा विकासखंड की निवासी उषा नकोटी अपनी मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प के साथ हथकरघा उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही हैं। न केवल वह अपने व्यवसाय को आधुनिक तरीके से संचालित कर रही हैं, बल्कि 25 से 30 ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण और रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। उषा की यह पहल नारी सशक्तिकरण की एक प्रेरणादायक मिसाल बन रही है।

हथकरघा से बुनी सफलता की कहानी
उषा ने वर्ष 2002 में उद्योग विभाग, टिहरी गढ़वाल की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के तहत हथकरघा प्रशिक्षण लिया और इसे अपने जीवन का आधार बनाया। आज वह चंबा मार्केट में “अंगोरा वस्त्र विक्रय भंडार” नाम से अपनी दुकान संचालित कर रही हैं, जहां अंगोरा शॉल, स्वेटर, मफलर, ऊनी कोट, कंबल, स्टॉल, टोपी और मोजे जैसे उत्पादों की मांग बाजार में बढ़ रही है। समय के साथ बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उषा ने 5 हथकरघा और 3 निटिंग मशीनें खरीदीं, जिससे उनके व्यवसाय ने नई गति पकड़ी।
उषा अपने व्यवसाय से प्रतिमाह लगभग 30,000 रुपये की आय अर्जित कर रही हैं। इसके साथ ही, वह अन्य ग्रामीण महिलाओं को 300 रुपये प्रतिदिन की दर से रोजगार प्रदान कर रही हैं, जिससे वे अपने घरेलू कार्यों के साथ-साथ आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। उषा की दुकान और उनके नेतृत्व में संचालित कुटिल उद्योग कल्याण समिति, जिसमें 12 स्वयं सहायता समूह शामिल हैं, छोटे-छोटे व्यवसायों के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रही है।

अंगोरा ऊन की बढ़ती मांग
उषा ने बताया कि अंगोरा खरगोश से प्राप्त ऊन से बने वस्त्रों, खासकर शॉल और स्वेटर, की बाजार में भारी मांग है। वह वर्तमान में 200 से अधिक अंगोरा खरगोशों का पालन कर रही हैं, जिससे उन्हें किफायती दर पर उच्च गुणवत्ता वाली ऊन मिल रही है। इन वस्त्रों की कीमत 2000 से 3000 रुपये के बीच होती है, जो उनकी आर्थिक मजबूती का आधार बन रही है।

प्रदर्शनियों का महत्व
उषा के लिए उद्योग विभाग और भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा आयोजित प्रदर्शनियां एक बड़ा मंच साबित हुई हैं। इन प्रदर्शनियों के जरिए वह अपने उत्पादों को देश के विभिन्न राज्यों में प्रदर्शित और बेच रही हैं। जिला उद्योग केंद्र और खादी विभाग की प्रदर्शनियों में भी उन्हें नियमित रूप से आमंत्रित किया जाता है, जिससे उनके व्यवसाय को और बल मिला है।

उषा नकोटी की कहानी न केवल व्यक्तिगत सफलता की गाथा है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है। उनकी मेहनत और समर्पण ने न सिर्फ उनके जीवन को बदला, बल्कि दर्जनों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है। उषा का यह सफर हर उस महिला के लिए एक संदेश है जो अपने सपनों को मेहनत और हौसले से साकार करना चाहती है।


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Govind Pundir

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