नई टिहरी में दुर्लभ हिमालयन अर्थ टाइगर टारेंटयुला दिखी: जैव विविधता संरक्षण का महत्वपूर्ण संकेत

नई टिहरी में दुर्लभ हिमालयन अर्थ टाइगर टारेंटयुला दिखी: जैव विविधता संरक्षण का महत्वपूर्ण संकेत
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टिहरी गढ़वाल। नई टिहरी के राजकीय पीजी कॉलेज में भूविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. हर्षिता जोशी के आवासीय परिसर (बुडोगी डांडा) की क्यारी में हाल ही में दुर्लभ हिमालयन अर्थ टाइगर टारेंटयूला (Haplocosmia himalayana) मकड़ी देखी गई।

डॉ जोशी ने बताया कि उनके भाई देवेश जोशी ने अचानक शाम को इस शर्मीले स्वभाव के जीव को क्यारी में पाया और उसकी फोटो ली। यह जीव हिमालयी जैव विविधता के संरक्षण और जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण है।
डॉ. हर्षिता जोशी ने बताया कि यह मकड़ी आकार, रंग और व्यवहार में सामान्य मकड़ियों से भिन्न थी। पहचान के बाद पुष्टि हुई कि यह हिमालय की दुर्लभ प्रजाति है, जो जमीन में बिल बनाकर रहती है और कम ही दिखाई देती है। इसका वैज्ञानिक नाम Haplocosmia himalayana है, जिसका पहला दस्तावेजीकरण 1899 में हुआ और हाल में 2020 में देहरादून के राजपुर में देखा गया। मादा का आकार 13 सेमी तक और नर 6 सेमी तक होता है। मादा 15 वर्ष तक और नर 5 वर्ष तक जीवित रहते हैं।

उन्होंने बताया कि यह 23–28°C तापमान और 65% नमी वाले क्षेत्रों में रहती है। यह मकड़ी पारिस्थितिकी तंत्र में कीट नियंत्रक की भूमिका निभाती है। इसकी मौजूदगी इसके हिमालय में विस्तार, हिमालय में जैव विविधता के रहस्यों और पारिस्थितिक संतुलन के प्रति जागरूकता का संकेत है।

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Govind Pundir

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