एआई और एमओओसीएस से डिजिटल शिक्षा को नई दिशा

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में विशेषज्ञों का मंथन
ऋषिकेश। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर (FDC) में “एआई एवं एमओओसीएस के माध्यम से डिजिटल शिक्षा का विकास” विषय पर एक दिवसीय फ़ैकल्टी डेवलपमेंट प्रशिक्षण सत्र आयोजित हुआ। कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020), SWAYAM प्लेटफ़ॉर्म, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, एमओओसीएस और जेनरेटिव एआई टूल्स जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई।
पहले सत्र में डॉ. निराधर (आईजीएनयू, नई दिल्ली) ने “NEP-2020 on Digital Education” विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि नई शिक्षा नीति डिजिटल शिक्षा को प्राथमिकता देती है। उन्होंने ई-कंटेंट निर्माण, ब्लेंडेड लर्निंग और तकनीक-आधारित मूल्यांकन के महत्व को रेखांकित किया।
दूसरे सत्र में डॉ. निराधर ने “SWAYAM and Its Framework” पर विस्तृत प्रस्तुति देते हुए SWAYAM प्लेटफ़ॉर्म की संरचना, पाठ्यक्रम डिज़ाइन, एमओओसीएस की विशेषताएं, क्रेडिट ट्रांसफ़र प्रणाली और शिक्षकों के लिए उपलब्ध अवसरों की जानकारी दी।
भोजनावकाश के बाद, तीसरे सत्र में प्रो. प्रवीण कुमार शुक्ल (डीन, स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग, बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी, लखनऊ) ने “AI and MOOCs: Redefining Digital Pedagogy for the Future of Learning” विषय पर विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि एआई व्यक्तिगत शिक्षण को संभव बनाता है और एमओओसीएस के माध्यम से शिक्षा को वैश्विक स्तर पर सुलभ और लचीला बनाया जा सकता है।
चौथे एवं अंतिम सत्र में प्रो. सुमाथी एस (विभागाध्यक्ष, आईटी, सेंट जोसेफ़्स कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, चेन्नई) ने “Empowering Educators with Generative AI: Tools and Techniques” विषय पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने चैटबॉट्स, कंटेंट क्रिएशन प्लेटफ़ॉर्म और इंटेलिजेंट असेसमेंट टूल्स के व्यावहारिक प्रयोग के उदाहरण प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम की निदेशक प्रो. अनीता तोमर ने कहा, “NEP-2020 के अंतर्गत डिजिटल शिक्षा का प्रभावी क्रियान्वयन तभी संभव है, जब शिक्षक तकनीकी दक्षता और नवाचारपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएं।”
फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर के समन्वयक अटल बिहारी त्रिपाठी ने कहा, “इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षकों को समयानुकूल तकनीकी और शैक्षणिक उपकरणों से सशक्त बनाते हैं।”
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी और विभिन्न संस्थानों से आए शिक्षक सक्रिय रूप से शामिल हुए और विशेषज्ञों से संवाद कर नवीनतम तकनीकी एवं शैक्षणिक रुझानों की जानकारी प्राप्त की।