धराली-हर्षिल आपदा क्षेत्र में भूवैज्ञानिक दल की आपात कार्य योजना से झील का जलस्तर नियंत्रित
उत्तरकाशी। उत्तराखंड शासन के औद्योगिक विकास विभाग के निर्देश पर गठित भूवैज्ञानिक दल ने 5 अगस्त 2025 को धराली-हर्षिल आपदा प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया। जांच में पाया गया कि तेज वर्षा से सक्रिय हुए तेलगाड़ गदेरे में आए मलबे ने भागीरथी नदी का प्रवाह रोककर लगभग 1,500 मीटर लंबी व 12-15 फीट गहरी अस्थायी झील बना दी, जिससे हर्षिल नगर, राष्ट्रीय राजमार्ग और हेलीपैड को खतरा उत्पन्न हो गया।
12 अगस्त को पुनः निरीक्षण के बाद, भूवैज्ञानिकों ने चरणबद्ध जल निकासी योजना बनाई, जिसमें मैनुअल श्रम से 9-12 इंच गहरे छोटे चैनल बनाकर झील का जल धीरे-धीरे छोड़ा गया। जिलाधिकारी उत्तरकाशी, आईजी पुलिस व एसडीआरएफ, सिंचाई विभाग की टीम ने कार्य को अंजाम दिया। पहले ही दिन तीन चैनलों से जल प्रवाह बहाल हुआ और अवसाद नदी में समाहित हो गया।
नतीजतन, नदी का प्रवाह दो हिस्सों में बंटकर हर्षिल क्षेत्र में क्षरण दबाव कम हुआ और झील के मुहाने का विस्तार होने से नियंत्रित जल निकासी संभव हुई। इस कार्य में संयुक्त निदेशक जी.डी. प्रसाद, सहायक भूवैज्ञानिक रवि नेगी व प्रदीप कुमार, पुलिस क्षेत्राधिकारी स्वप्निल मुयाल व उनकी एसडीआरएफ टीम, तथा सिंचाई विभाग के अधिकारियों का योगदान रहा।