श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव में संत रसिक महाराज ने दी जीवन में दृढ़ संकल्प की प्रेरणा

चण्डीगढ़, 15 अगस्त । महावीर मुनि सभा मंदिर, सेक्टर 23-डी में चल रहे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के प्रथम सत्र में बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड से पधारे संत रसिक महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि इंसान एक बार ठान ले, तो बड़ी से बड़ी बाधाएं भी उसके सामने टिक नहीं पातीं। यह भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की प्रमुख सीखों में से एक है।
रसिक महाराज ने कहा कि कारागार में जन्म लेने वाले श्रीकृष्ण यूं ही द्वारिकाधीश नहीं बने। उन्हें पूतना, तृणावर्त, अघासुर, बकासुर, व्योमासुर, चारूण, मुष्टिक और कंस जैसी तमाम प्रतिकूलताओं और विघ्नों का सामना करना पड़ा। इसी तरह, जीवन में भी हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति, उच्च आत्मबल और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा, “जन्म चाहे कितनी ही कठिन परिस्थितियों में क्यों न हुआ हो, यदि सतत श्रेष्ठ प्रयास और सकारात्मक सोच बनी रहे तो व्यक्ति सफलता के शिखर पर पहुंच सकता है।” उन्होंने श्रीकृष्ण के जीवन को प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि आज के समय में सनातन संस्कृति चुनौतियों के दौर से गुजर रही है और समाज में संकीर्ण पंथों का दखल बढ़ रहा है, जिससे सावधान रहने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में मंदिर सभा के प्रधान श्री दलीप चंद गुप्ता, उपप्रधान श्री ओ. पी. पाहवा, महासचिव श्री एस. आर. कश्यप, पंडित दीप शर्मा, साध्वी माँ देवेश्वरी सहित बड़ी संख्या में भक्तजन मौजूद रहे।