डोबरा चांठी पुल-उम्मीदों, खुशियों का संवाहक

डोबरा चांठी पुल-उम्मीदों, खुशियों  का संवाहक
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विक्रम बिष्ट

गढ़ निनाद न्यूज़* 5 अक्टूबर 2020।

नई टिहरी।

चर्चित डोबरा-चांठी पुल तकनीकी तौर पर यातायात के लिए तैयार हो गया है। सुरक्षात्मक पहलुओं की अंतिम रिपोर्ट आने और निर्माण कार्य में प्रयुक्त कुछ भारी भरकम मशीनों को हटाने के बाद सरकार इस पुल पर यातायात शुरू करने का निर्णय लेगी । अपने पुनर्वास के लिए छटपटा रही कांग्रेस के दारुण विलाप के दबाव से मुक्त इंजीनियर्स, श्रमिक अपने काम में जुटे हैं। शायद वे अच्छी तरह से जानते हैं- ‘ जल्दी में काम शैतान का। ‘ 

रविवार को लोक निर्माण विभाग ने भारी मशीनों की आवाजाही के लिए पुल का ट्रायल करवाया। कोरियाई कंसलटेंट  सहित इससे जुड़े इंजीनियर  पल-पल  इसका निरीक्षण कर रहे थे। साढ़े पन्द्रह टन वजनी 14 वाहनों का बोझ परखा गया। पुल पर भार का विचलन अधिकतम 50 मिली मीटर से ज्यादा होने पर यातायात का प्रभाव कम करना पड़ता है। यह ट्रायल 100 फ़ीसदी सफल रहा। यह पुल हमारे राशन ढुलान के लगभग दो दर्जन ट्रकों को एक साथ पार कराने में सक्षम है। धरातल पर काम करने वाले इंजीनियर जोखिम मोल लेना नहीं चाहते हैं। प्रोजेक्ट मैनेजर एसएस मखलोगा का संचय  गौरतलब है, सभी ट्रक लोड के नियमों का पालन नहीं करते हैं । आशय यह के सामान्यतः ओवरलोडेड वाहनों का जोखिम नहीं होना चाहिए। इस पर नियंत्रण के कारगर व्यवस्था की जा रही है। अधिक भार होने पर वाहन स्वतः रुक जाएंगे।

वाहनों के लिए पुल की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर है ,एनएचए की तरह। दोनों किनारों पर फुटपाथ हैं। रेलिंग को लेकर कहा जा रहा है कि थोड़ी ऊंची होनी चाहिए, लेकिन विशेषज्ञ राय है कि तेज हवाओं से सुरक्षा जरूरी है। पुल पर आकर्षक रोशनी का इंतजाम किया गया है। इस की चमक भी शायद राजनीतिक आंखों को खल रही है। कामगार पुख्ता इंतजाम में लगे हैं।

प्रताप नगर के लिए तोहफा तैयार है। टिहरी सहित उत्तराखंड के खाते में बड़ी उपलब्धि है। टिहरी झील भारत का पहला सबसे बड़ा भारी वाहन झूला पुल नवीकरण के लिए प्रतीक्षारत नई टिहरी , यह बेमिसाल संगम दुनियाभर को लुभाएगा।  

प्रताप नगर के विधायक विजय पंवार हों या सामान्य जन उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रत्यक्ष अथवा आमासी माध्यम से यह सौगात उत्तराखंड को स्वयं भेंट करने की आकांक्षा पाले हैं। पहाड़ में सदियों से एक बग्वाल (दिवाली) एक महीने बाद भी मनाई जाती है। उम्मीद है नवंबर की तीसरी दीपावली में डोबरा-चांठी की उपलब्धि की खुशी भी महकेगी।


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Govind Pundir

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