एफ.आर.आई. में “फोंरेस्ट बायोमास से नेचुरल डाई” विषयक वेबिनर का आयोजन

एफ.आर.आई. में “फोंरेस्ट बायोमास से नेचुरल डाई” विषयक वेबिनर का आयोजन
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गढ़ निनाद*24 जुलाई 2020

देहरादून: वन अनुसंधान संस्थान के रसायन एवं जैव पूर्वेक्षण प्रभाग द्वारा “फोंरेस्ट बायोमास से नेचुरल डाई” विषयक एक वेबिनर का भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद,देहारादून के बोर्ड रूम में किया गया। इस वेबिनर मे प्रमुख शैक्षणिक एवं वैज्ञानिक संस्थानों के विशिष्ट वैज्ञानिक, शिक्षाविद, एफआरआई के अनुभवी वैज्ञानिक, गैर सरकारी संगठनों, केन्द्रीय रेशम बोर्ड, राज्य रेशम बोर्ड और उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 

मुख्य अतिथि के रूप मे वेबिनर का उद्घाटन  करते हुए डॉ अरुण सिंह रावत, महानिदेशक,भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद ने बायो इकोनोमी के युग में बायोमास उपयोग के महत्व को रेखांकित किया। डॉ रावत ने बताया कि इस वेबिनर का आयोजन भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहारादून के दिशा निर्देशों के अनुपालन में किया जा रहा है। वेबिनर का उद्देश्य शोधकर्ताओं और हितधारकों, उद्यमियों और अन्य लाभार्थी समूह के बीच एक प्रभावी और रणनीतिक संबंध स्थापित करने के लिए उनके विचारों और आकांक्षाओं को साझा करने के लिए मंच प्रदान करना है। 

कार्यक्रम में डॉ. विनीत कुमार,प्रमुख रसायन एवं जैव पूर्वेक्षण प्रभाग ने सभी प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए अब तक नेचुरल डाई एवं अन्य सभी अनुसन्धानों का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। 

डॉ प्रवीन उनियाल ने फॉरेस्ट बायोमास से नेचुरल डाई प्राप्त करने के संदर्भ में किए गए अनुसंधानों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। इसके उपरांत डॉ बैसी सेसिल, सलाहकार(हैण्डलूम), क्राफट एजुकेशन एवं रिसर्च सेंटर, चेन्नई ने ओल्डनलैण्डिया अंबलेटरू प्राचीन कालीन लाल रंग विषय पर, श्री अशोक थोरी, सलाहकार (नेचुरल डाई) ने औषधीय एवं प्राकृतिक रंग हेतू फॉरेस्ट बायोमास के सतत उपयोग विषय पर प्रकाश डाला।गैर सरकारी संस्था अवनी, पिथौरागढ से श्रीमती रश्मि भारती ने उत्तराखण्ड राज्य में प्राकृतिक रंगों के उत्पादन को प्रोत्साहन देते हुए सतत आजीविका एवं चक्रीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ करने की आवश्यकता पर बल दिया। 

तदोपरांत कोयंबटूर के डॉ एन0 सेथिल कुमार, कोलकाता के डॉ एस0 एन0 चट्टोपाध्याय, लखनऊ के यावर अली शाह, श्री अनिल चंदोला,भारतीय ग्रामोत्थान संस्थान, ऋषिकेश ने विचार व्यक्त किए।

व्याख्यानों की समाप्ति के बाद पैनल चर्चा के दौरान डॉ वाय.सी. त्रिपाठी, डॉ ए.के. पाण्डे, डॉ राकेश कुमार,डॉ वी. के.वार्ष्णेय, डॉ प्रदीप शर्मा,डॉ डी. थंगामनी, श्री मोल्फा, डॉ.कार्तिक सामंता, प्रो.के. कुमारन आदि उपस्थित रहे। 

इस सत्र के अंतर्गत सभी प्रतिभागी एवं पैनल के सदस्यों ने प्राकृतिक रंगों के उत्पादन विपणन गुणवत्ता सुधार चुनौतियों एवं समस्याओं एवं अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। इस वेबिनार के दौरान संस्थान एवं स्थानीय संस्थाओं के अतिरिक्त भारत के कोने कोने से कुल चालीस प्रतिभागियों ने शिरकत की।

वेबिनार का समापन डॉ वाय.सी. त्रिपाठी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। 


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Govind Pundir

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