31 मई: विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर विशेष

31 मई: विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर विशेष
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डॉ सुरेन्द्र सेमल्टी 

गढ़ निनाद न्यूज़* 31 मई 2020

जो करता है धूम्रपान, बच नहीं पाती उसकी जान ।

तन बन जाता है रोगों  का घर,तब पछताता है वह नर।

पीकर तंबाकू बीड़ी सिगरेट,भरते रोगों से अपना पेट।

धुंआ निकालते मुंह से जब, फैलता प्रदूषण उससे तब।

औरों को भी लगता जहर, भोगते दुख तब गांव शहर।

बच्चे बूढ़े महिला सब,इनसे बच नहीं पाते तब।

युवा दिखता मानो हो बूढ़ा, जीवन का बन जाता कूड़ा।

पहले तक परवाह न करते, अल्प मृत्यु तब यह हैं मरते।

कुछ तंबाकू मौज से खाते, चट पट यमराज के घर जाते।

किसी की राय नहीं मानते,उसे उल्टा बेवकूफ जानते।

जो सुरती खैनी खाते हर पल, आंतें उनकी जाती हैं गल।

होता मुँह गले पेट का कैंसर,तब जाकर आंख खोलता है नर।

तब तक देर बहुत हो जाती,फिर बात कुछ बन नहीं पाती।

संकल्प करें अब छोड़ दिया है,भूलबस इसे आज तक पिया है।

इसको छुएंगे नहीं अब हाथ, पूरी समझ गए हैं बात। 

करेंगे विश्व में प्रचार, एक बार नहीं बारंबार।


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Govind Pundir

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