समाज कल्याण का अजब ढांचा

समाज कल्याण का अजब ढांचा
विक्रम बिष्ट
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विक्रम बिष्ट

गढ़ निनाद न्यूज़ *17 अक्टूबर  2020नई  टिहरी। राज्य स्तर पर समाज कल्याण, अल्पसंख्यक पिछड़ा वर्ग एवं विकलांग कल्याण अलग-अलग विभाग हैं। जिला स्तर पर सारे काम समाज कल्याण विभाग के जिम्मे है। शासन स्तर पर बड़े, मंझोले अधिकारियों की फौज है। जिला स्तर पर मिनिस्ट्रियल संवर्ग के आठ से नौ पद हैं। जो इन विभागों से संबंधित कामों को निपटातते हैं।

“नौ कुली दस टंडेल”

कुछ इस तरह समझा जा सकता है कि टिहरी में कमजोर वर्गों के लगभग 70 हजार पेंशनभोगी लोग हैं। विभाग में मिनिस्ट्रियल संवर्ग के मात्र 9 पद हैं। पेंशन भुगतान की कार्यवाही का भार मूलतः एक कनिष्ठ सहायक पर है। विभाग पेंशन के रूप में करोड़ों रुपए वितरित करता है। लेकिन लेखा लिपिक तक नहीं है । दोहराने की जरूरत नहीं है कि जिला स्तर पर विभागीय कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक भार है। विभाग विकलांग कर्मशाला, भिक्षुक कर्मशाला, आश्रम पद्धति विद्यालय, आईटीआई, प्राथमिक स्तर के छात्रावास , वृद्धाश्रम आदि का संचालन करता है। 

प्रशिक्षक पदों पर समान शैक्षिक योग्यता वाले कर्मियों के वेतन में असमानताएं हैं। सेवा  नियमावली नहीं होने की वजह से कई कर्मी वर्षों से पदोन्नति से वंचित हैं । जबकि उपरोक्त विभागीय संस्थाओं के पद पदोन्नतियों के हैं । इन में कार्यरत कर्मी राज्य बनने के बाद जहां के तहां ठहरे हुए हैं । 

कुल मिलाकर विभाग के ढांचे की स्थिति “नौ कुली दस टंडेल” के  औखाण  (मुहावरे) पर भारी पड़ती है।


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Govind Pundir

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