विक्टोरिया क्रास गबर सिंह के व्यक्तित्व व कृतित्व को किया जायेगा पाठ्यक्रम में शमिल-डा0 ध्यानी

विक्टोरिया क्रास गबर सिंह के व्यक्तित्व व कृतित्व को किया जायेगा पाठ्यक्रम में शमिल-डा0 ध्यानी
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वीर गबर सिंह की जीवनी पर बनेगी फ़िल्म

गढ़ निनाद समाचार* 4 अक्टूबर 2020

नई टिहरी। श्रीदेव सुमन संस्कृति, साहित्य एवं शिक्षण संस्थान, देहरादून के तत्वाधान एंव गायत्री आर्टस के बैनर तले विक्टोरिया क्रास गबर सिंह नेगी के जीवन पर आधारित डाक्यूमेट्रिक फिल्म के निर्माण का चम्बा में गबर सिंह स्मारक के पास बनी प्रतिमा के समक्ष श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 पीताम्बर प्रसाद ध्यानी द्वारा, बतौर मुख्य अतिथि, विधिवत् शुभारम्भ किया गया। 

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा0 ध्यानी द्वारा सर्वप्रथम चम्बा स्थित गबर सिंह स्मारक में पहुंच कर उनकी प्रतिमा पर मल्यार्पण किया गया और वीर सपूत गबर सिंह नेगी जी को श्रद्धाजंलि अर्पित की गयी। इस फिल्म शुभारम्भ समारोह के बाद मुख्य अतिथि डा0 ध्यानी द्वारा डा0 मुनि राम सकलानी, जो अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी के भांजे हैं, के द्वारा लिखित पुस्तक ’’अनुभूति के स्वर’’ और हिन्दी सप्ताहिक ’’सुमन सुधा’’, जो कि विक्टोरिया क्रास गबर सिंह नेगी पर आधारित है, का विमोचन किया गया।

इस शुभ अवसर पर डा0 ध्यानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि उत्तराखण्ड की पावन धरती पर अनके वीर सैनिकों, देशभक्तों एंव क्रान्तिकारियों ने जन्म लिया और हमारे देश का इतिहास भी उत्तराखण्ड के इन वीरों के शौर्य और बलिदान की गौरव गाथाओं से भरा हुआ है। प्रथम विश्व युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देकर ब्रिटिश सेना के सर्वोच्च सम्मान ’’विक्टोरिया क्रास’’ प्राप्त करके ’गढ़वाल राइफल्स’ को ’रायल गढ़वाल’ का सम्मान दिलाने वाले चम्बा के वीर सपूत गबर सिंह नेगी पर पहली डाक्योंमेन्टरी बनने पर डा0 ध्यानी द्वारा डाक्यूमेट्री फिल्म के निर्माता आशा मुनेन्द्र सकलानी, निर्देशक श्री जयप्रकाश पंवार आदि को वीर गबर सिंह नेगी जी पर पहली बार फिल्म बनाने हेतु हार्दिक शुुभकामनायें दी गयी। 

उन्होने यह भी बताया कि वीर गबर सिंह नेगी, जो प्रथम विश्व युद्ध के नायक थे, का व्यक्तित्व एवं कृतित्व युगों-युगों तक पीढियों को गौरान्वित करता रहेगा और जो भी व्यक्ति ऐसे महापुरूषों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अधिक चीरस्थाई बनाने में योगदान देगा उनका भी इतिहास में एक विशिष्ट स्थान रहेगा। 

डा0 ध्यानी ने यह भी अवगत कराया कि आज हम सभी का परम कर्तव्य है कि हम इस पावन स्थल चम्बा के वीर शहीदों व क्रान्तिकारियों, विशेेषकर  श्रीदेव सुमन व गबर सिंह नेगी जी, के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अधिक चीरस्थाई बनाने हेतु निस्वार्थ भाव से प्रयास करें। 

इसी सन्दर्भ में डा0 ध्यानी ने इस अवसर पर दो महत्वपूर्ण घोशणायें भी की –

1. श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के सेमिनार हाॅल का नाम अब ’’विक्टोरिया क्रास गबर सिंह नेगी मेमोरियल हाॅल’’ होगा।

2. श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय स्नातक स्तर पर विक्टोरिया क्रास गबर सिंह नेगी जी के व्यक्तित्व व कृतित्व को पाठ्यक्रम में शमिल करेगा और उन पर शोध हेतु शोधार्थियों को प्रोत्साहित करेगा।

इस कार्यक्रम के पश्चात कुलपति वीर गबर सिंह नेगी की जन्म स्थली मंज्यूड गांव पहुंचे। उनके द्वारा पूरे गांव का भ्रमण किया गया और गांव की प्रधान श्रीमती कुसुम और ग्रामीणों के साथ गांव के उत्थान हेतु विचार विमर्ष किया गया। जिससे ग्रामीण बहुत उत्साहित हुए। ग्रामीणों द्वारा पहली बार किसी कुलपति के उसके गांव में आने पर अत्यन्त प्रसन्नता जाहिर की गयी।

कार्यक्रम में कुलदीप सिंह नेगी प्र0 निजी सचिव, कुलपति, कार्यक्रम के संचालक सोमवारी लाल सकलानी, बीज बचाओ आंदोलन के विजय जड़धारी, पृथ्वी सिंह पुंडीर, इंद्र सिंह नेगी , मुनिराम सकलानी, शक्ति जोशी, रघु भाई जड़धारी, सूरज राणा, फिल्म के निर्माता आषा मुनेन्द्र सकलानी, निर्देषक जय प्रकाश पंवार, प्रोडक्षन मैनेजर जे0पी0कोठारी, अमित सजवाण, रविन्द्र कुमार आदि उपस्थित थे।


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Govind Pundir

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