टिहरी के समाज कल्याण अधिकारी को क्यों हटाया ? जानें।

टिहरी के समाज कल्याण अधिकारी को  क्यों हटाया ? जानें।
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गढ़ निनाद समाचार* 1 दिसम्बर 2020

नई टिहरी। अंतरधार्मिक विवाह को प्रोत्साहन देने वाले टिहरी गढ़वाल के समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल को आखिरकार सरकार ने हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। बता दें कि गत 18 नवम्बर को टिहरी के जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्ड़ियाल ने एक पत्र जारी किया था। जिसमें अंतरजातीय विवाह करने पर समाज कल्याण विभाग की तरफ से प्रोत्साहन के रूप में पचास हजार रूपए की धनराशि दिए जाने का उल्लेख किया गया था। इस प्रकरण पर सोशल मीडिया में हो हल्ला मचने के बाद ही राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रशासन को इस मामले की जाँच के आदेश दिए थे।

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार मजहबी उद्देश्यों और धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाली शक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। बता दें कि सामाज कल्याण विभाग द्वारा अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़े को 50,000 रुपए की मदद देने की घोषणा की थी, जिसके बाद ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा देने के आरोप लगे थे।

समाज कल्याण अधिकारी की इस प्रेस रिलीज के सामने आने के बाद उत्तराखंड सरकार के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट ने बताया था कि ये 1976 का उत्तराखंड का क़ानून है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत पहले 10,000 रुपए की सहायता राशि मिलती थी, जिसे कॉन्ग्रेस की सरकार ने 2014 में बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा से किसी ने भी अंतरधार्मिक विवाह को बढ़ावा देने की बात नहीं की है।

सीएम ने कहा कि जब सरकार पूरी तरह जबरन धर्मान्तरण के बाद शादी के खिलाफ है, तो किन परिस्थितियों में ये प्रेस रिलीज जारी हुआ? इसके साथ ही इस योजना को अंतरधार्मिक के बजाय अंतरजातीय विवाह तक सीमित करने के भी आदेश जारी किए गए।

उत्तराखंड राज्य ने वर्ष 2018 में ही ‘फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल’ पारित किया था। इसके तहत रुपयों के दम पर या किसी का जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने का दोषी पाए जाने पर दो साल तक की जेल का प्रावधान है।


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Govind Pundir

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