एन सी सी एकेडमी की वापसी को पी एम को खून से लिखा खत

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मुख्यमंत्री त्रिंवेंद्र रावत ने एनसीसी देवप्रयाग के श्रीकोट मालड़ा से हटाकर पौड़ी ले जाने की घोषणा कर एक चिंगारी को हवा दे दी है।अब इस चिंगारी ने उग्र रूप धारण कर लिया है। पिछले 45 दिनों से हिन्डोला खाल ब्लॉक मुख्यालय पर धरने पर बैठेआंदोलनकारियों ने प्रधानमंत्री पीएम मोदी और अमित शाह को खून से लिखा पत्र भेजा।  आंदोलनकारियों के इस मुद्दे को दिल्ली में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों ने भी ज़ोर शोर से उठाया और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से मुख्यमंत्री की शिकायत करने का मन बना लिया है।

एनसीसी बचाओ समिति हिंडोला खाल देवप्रयाग तथा टिहरी उत्तरकाशी जन विकास परिषद के सदस्य पहले ही राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से मुलाकात करके उन्हें 42 दिन के क्रमिक अनशन और आंदोलन के बारे में बता चुके हैं। जिसको लेकर बलूनी भी चिंता जता चुके हैं तथा मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक भी इस मुद्दे पर गम्भीर दिखते है।क्योंकि उनकी वर्तमान में मुख्यमंत्री से   नहीं पटती।यदि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी जिद नहीं छोड़ी तो यह उनके लिये घाटे का सौदा होगा। क्योंकि यदि दोनों दिग्गजों अनिल बलूनी और निशंक ने एनसीसी अकादमी का फैसला आंदोलनकारियों के पक्ष में दिला दिया तो यह त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिये सियासी मात होगी।
सवाल यह उठता है कि जब एक बार एनसीसी का शिलान्यास श्रीकोट मालड़ा में हो गया है तो  सीएम त्रिवेंद्र सिंह उसे पौड़ी ले जाने की जिद्द क्यों कर रहे हैं।
 आंदोलनकारी पिछले डेढ़ माह से  आंदोलन कर रहे हैं लेकिन जन भावनाओं की परवाह न करना त्रिवेंद्र सिंह रावत की संवेदनहीनता का सबसे बड़ा उदाहरण है। आंदोलनकारियों का कहना है कि वे टिहरी की जनता के साथ  सौतेला व्यवहार कर रहे हैं।इसलिए जनता की आवाज को देश के मुखिया के पास भी भेज रहे हैं।आंदोलनकारियों का कहना भी जायज  है कि यदि एनसीसी का शिलान्यास पौड़ी गढ़वाल में ही कहीं होता तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होती, लेकिन यदि एक बार जब टिहरी गढ़वाल के देवप्रयाग के श्रीकोट में एनसीसी का शिलान्यास हो गया तो फिर इसको पौड़ी क्यों ले जाया जा रहा है?
आंदोलनकारियों ने खून से लिखे पत्र में सवाल उठाया है कि जब पौड़ी में एनआईटी और मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में बनाया गया तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन जब एनसीसी टिहरी को दी गई थी तो फिर अब उसे शिफ्टिंग करने का क्या औचित्य है ।पिछले 9 जुलाई 2019 से ब्लॉक मुख्यालय हिन्डोला खाल में जनता क्रमिक अनशन पर बैठी है। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। संघर्ष समिति के संयोजक एवम पूर्व ब्लॉक प्रमुख जयपाल सिंह पंवार ने खुली चेतावनी दी है कि जब तक एन सी सी वापस नही आ जाती आंदोलन जारी रहेगा। उन्हें उम्मीद है कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व जन भावनाओं की कद्र करेगा ।

सवाल यह उठता है कि जब एक बार एनसीसी का शिलान्यास श्रीकोट मालड़ा में हो गया है तो  सीएम त्रिवेंद्र सिंह उसे पौड़ी ले जाने की जिद्द क्यों कर रहे हैं।
 आंदोलनकारी पिछले डेढ़ माह से  आंदोलन कर रहे हैं लेकिन जन भावनाओं की परवाह न करना त्रिवेंद्र सिंह रावत की संवेदनहीनता का सबसे बड़ा उदाहरण है। आंदोलनकारियों का कहना है कि वे टिहरी की जनता के साथ  सौतेला व्यवहार कर रहे हैं।इसलिए जनता की आवाज को देश के मुखिया के पास भी भेज रहे हैं।आंदोलनकारियों का कहना भी जायज  है कि यदि एनसीसी का शिलान्यास पौड़ी गढ़वाल में ही कहीं होता तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होती, लेकिन यदि एक बार जब टिहरी गढ़वाल के देवप्रयाग के श्रीकोट में एनसीसी का शिलान्यास हो गया तो फिर इसको पौड़ी क्यों ले जाया जा रहा है?
आंदोलनकारियों ने खून से लिखे पत्र में सवाल उठाया है कि जब पौड़ी में एनआईटी और मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में बनाया गया तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन जब एनसीसी टिहरी को दी गई थी तो फिर अब उसे शिफ्टिंग करने का क्या औचित्य है ।पिछले 9 जुलाई 2019 से ब्लॉक मुख्यालय हिन्डोला खाल में जनता क्रमिक अनशन पर बैठी है। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। संघर्ष समिति के संयोजक एवम पूर्व ब्लॉक प्रमुख जयपाल सिंह पंवार ने खुली चेतावनी दी है कि जब तक एन सी सी वापस नही आ जाती आंदोलन जारी रहेगा। उन्हें उम्मीद है कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व जन भावनाओं की कद्र करेगा ।


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