टिहरी बांध के अभिशाप से प्रताप नगर को मुक्ति नहीं

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नौका संचालकों की हड़ताल

विक्रम बिष्ट

नई टिहरी, 04 जनवरी 2020

मार्च अंत तक प्रताप नगर की जनता को डोबरा चांठी पुल की सौगात मिलने की पूरी संभावना है। फ़िलहाल तो उनको टिहरी बांध के अभिशाप से मुक्ति नहीं मिल रही है। उनको झील के आर-पार कराने वाली नौकाओं के मालिकों को महीनों से उनका पैसा नहीं मिला है। इसलिए वे हड़ताल पर हैं। लोग परेशान हाल हैं। 

टिहरी बांध के कारण प्रतापनगर क्षेत्र जिला मुख्यालय से काफी दूर हो गया है। जनता की क़िस्मत लिखने वाले नीति नियंताओं को समझ नहीं आया कि बांध की झील में पानी भरने से पहले आर-पार जाने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए। पीपलडाली में एक पुल बनाया गया, जो क्षेत्र की सुविधाओं के लिहाज से नाकाफी है।

2006 में उत्तराखंड सरकार को होश आया तो झील के ऊपर डोबरा चांठी पुल बनाने का निर्णय लिया गया। तब से यह पुल बन रहा है। तदर्थ तौर पर प्रभावित क्षेत्र की जनता की सुविधाओं के लिए नौकाएं लगाई गई है । स्थानीय युवा इनका संचालन करते हैं। टिहरी बांध पुनर्वास निदेशालय के माध्यम से नौका संचालकों को पैसे टीएचडीसी देती रही है । लेकिन विगत कई महीनों से  नौका संचालकों को उनका भुगतान नहीं किया जा रहा है।

भुगतान की मांग को लेकर संचालकों ने दीवाली के दिन सांकेतिक हड़ताल की थी । बताया जा रहा है तब एक डेढ़ महीने की बकाया राशि का भुगतान किया गया था। 

पुनर्वास निदेशालय के प्रभारी अधिशासी अभियंता विजेंद्र कुमार का कहना है कि टीएचडीसी को इस मद में ₹ दो करोड़ 35 लाख का आगणन भेजा गया है । लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला है । पहले 15 नौकाएं संचालित की जाती थी। टीएचडीसी के कहने पर इनकी संख्या घटाकर 9 कर दी गई है। बताया कि प्रशासन की ओर से टीएचडीसी को बकाया भुगतान के लिए पत्र भेजा जा रहा है। नौका संचालकों से काम शुरू करने का आग्रह किया गया है।

प्रतापनगर के विधायक विजय सिंह पंवार ने टीएचडीसी के सीएमडी से दूरभाष पर बात कर नौका संचालकों की समस्या का त्वरित समाधान कर आवागमन सुविधा बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा है। उन्होंने बताया कि सीएमडी ने दिल्ली से लौटकर यथाशीघ्र समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है।

प्रताप नगर के ब्लॉक प्रमुख प्रदीप रमोला ने सम्बन्धित अधिकारियों से मिलकर जनता की आवाजाही की सुविधा बहाल करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि उनको आज से नौका संचालन का वायदा किया गया था। बहरहाल इन पंक्तियों के लिखे जाने तक नौकाएं ठहरी हुई हैं। संचालकों की मांग है कि उनके अबतक की बकाया राशि का अविलंब भुगतान किया जाए। शेष वित्तीय वर्ष का करार जारी रखा जाए।

जनता बेहाल है। मौसम की मार झेलते लोगों को मजबूरन अधिक खर्च करके लम्बी दूरियां तय करनी पड़ रही हैं। वे सरकार को कोस रहे हैं। सरकारी महकमा टीएचडीसी को।

बांध निर्माण के बाद अपने तमाम शेष वायदों से एक-एक कर अपना पल्ला झाड़ चुकी टीएचडीसी अब एनटीपीसी की हो गयी है।उत्तराखंड की वह कभी थी भी नहीं। अब इन नौजवान व्यवसायियों की सुध लीजिए प्रदेश सरकार के प्रवक्ता जी। टीएचडीसी के विनिवेश की न सही, बेरोज़गार किए जा रहे इनके छोटे-छोटे निवेश की तो आपको सूचना होनी चाहिए।


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