मधुमक्खियों के छत्ते पर अनुसंधान, मिलेगा गुणवत्तापूर्ण शहद

मधुमक्खियों के छत्ते पर अनुसंधान, मिलेगा गुणवत्तापूर्ण शहद
नये विकसित फ्रेम के कोशों में मधुमक्खियों द्वारा भरा गया शहद, और नये विकसित छत्ते का भीतरी दृश्य
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शहद उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में 8वाँ प्रमुख देश है

  • वैज्ञानिकों द्वारा किया गया छत्ते में सुधार 
  • फ्रेम और मधुमक्खियों से बिना छेड़छाड़ किए शहद इकट्ठा किया जा सकता है

26 मार्च 2020 * रमेश सिंह रावत 

दिल्ली: पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत शहद उत्पादन और उसके निर्यात के मामले में तेजी से उभरा है। लेकिन, शहद उत्पादन में उपयोग होने वाले छत्तों का रखरखाव एक समस्या है, जिसके कारण शहद की शुद्धता प्रभावित होती है। 

भारतीय वैज्ञानिकों ने मधुमक्खी-पालकों के लिए एक ऐसा छत्ता विकसित किया है, जो रखरखाव में आसान होने के साथ-साथ शहद की गुणवत्ता एवं हाइजीन को बनाए रखने में भी मददगार हो सकता है। 

केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ), चंडीगढ़ और हिमालय जैव-संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी), पालमपुर के वैज्ञानिकों ने मिलकर मधुमक्खी पालन में उपयोग होने वाले पारंपरिक छत्ते में सुधार करके इस नये छत्ते को विकसित किया है। इस छत्ते की खासियत यह है कि इसके फ्रेम और मधुमक्खियों से छेड़छाड़ किए बिना शहद को इकट्ठा किया जा सकता है।

फ्रेम पर चाबी को नीचे की तरफ घुमाकर शहद सीधे बोतल में

पारंपरिक रूप से हनी एक्सट्रैक्टर की मदद से छत्ते से शहद प्राप्त किया जाता है, जिससे हाइजीन संबंधी समस्याएँ पैदा होती हैं। नये विकसित किये गए छत्ते में भरे हुए शहद के फ्रेम पर चाबी को नीचे की तरफ घुमाकर शहद प्राप्त किया जा सकता है। ऐसा करने से शहद निकालने की पारंपरिक विधि की तुलना में शहद सीधे बोतल पर प्रवाहित होता है। इस तरह, शहद अशुद्धियों के संपर्क में आने से बच जाता है और शुद्ध तथा उच्च गुणवत्ता का शहद प्राप्त होता है।

आईएचबीटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0  एस जी ईश्वरा रेड्डी ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “इस छत्ते के उपयोग से बेहतर हाइजीन बनाए रखने के साथ शहद संग्रहित करने की प्रक्रिया में मधुमक्खियों की मृत्यु दर को नियंत्रित कर सकते हैं। इस छत्ते के उपयोग से पारंपरिक विधियों की अपेक्षा श्रम भी कम लगता है। मधुमक्खी-पालक इस छत्ते का उपयोग करते है तो प्रत्येक छत्ते से एक साल में 35 से 40 किलो शहद प्राप्त किया जा सकता है। मकरंद और पराग की उपलब्धता के आधार पर यह उत्पादन कम या ज्यादा हो सकता है। इस लिहाज से देखें तो मधुमक्खी का यह छत्ता किफायती होने के साथ-साथ उपयोग में भी आसान है।”

भारत दुनिया में 8वाँ प्रमुख उत्पादक

शहद उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में 8वाँ प्रमुख देश है, जहाँ प्रतिवर्ष 1.05 लाख मीट्रिक टन शहद उत्पादित होता है। राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 1,412,659 मधुमक्खी कॉलोनियों के साथ कुल 9,580 पंजीकृत मधुमक्खी-पालक हैं। हालांकि, वास्तविक संख्या बहुत अधिक हो सकती है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority (APEDA) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2018-19 में 732.16 करोड़ रुपये मूल्य का 61,333.88 टन प्राकृतिक शहद का निर्यात किया था। प्रमुख निर्यातकों में अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, मोरक्को और कतर जैसे देश शामिल हैं।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research) से संबद्ध आईएचबीटी अरोमा मिशन, फ्लोरीकल्चर मिशन और हनी मिशन के अंतर्गत मधुममक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहा है। इसके तहत प्रशिक्षण एवं कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और मधुमक्खी के छत्ते तथा टूल किट वितरित किए जा रहे हैं, ताकि रोजगार और आमदनी के अवसर पैदा किए जा सकें।


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