कथा: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला (भाग-11)

कथा: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला (भाग-11)
विक्रम बिष्ट
Please click to share News

विक्रम बिष्ट*

जिलाधिकारियों को मुख्य सचिव के 16 फरवरी 2015 को दिए गए आदेश की इस पंक्ति को दोहराते हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा कराये जा रहे भौतिक सत्यापन को पर्याप्त न समझते हुए यह निर्णय लिया जा रहा है कि प्राप्त ऑनलाइन आवेदन पत्रों/ छात्रों का भौतिक सत्यापन संबंधित जनपद के जिलाधिकारी के माध्यम से कराया जाए।

जाहिर है उद्देश्य स्पष्ट है कि छात्रवृत्ति वितरण में नियमों, प्रक्रिया का पारदर्शिता से पालन किया जाए। यह भी स्पष्ट है कि समाज कल्याण विभाग ने मुख्य सचिव के दिशा निर्देश को दरकिनार कर विभागीय जांच को सही माना और वित्तीय वर्ष 2014 की छात्रवृत्ति का भुगतान जिला समाज कल्याण अधिकारी ने विभागीय वित्त वर्ष 2015 में कर दिया। ट्रेजरी को ई- बिल भेज कर नहीं, शासन द्वारा प्राप्त धनराशि को अपने विभागीय खाते में आहरित करके। क्या यह शासनादेश का उल्लंघन नहीं है? यदि भौतिक सत्यापनों में विरोधाभास था तो छात्रवृत्ति का भुगतान स्थिति स्पष्ट होने तक रोका जा सकता था। उस स्थिति में कथित गबन की संभावना/ आशंका स्वतः निर्मूल की जा सकती थी।

लेकिन यहां तो पूरी दाल ही काली है। 28 फरवरी 2015 को मुख्य सचिव कार्यालय का तत्संबंधी पत्र समाज कल्याण विभाग को शायद आज तक प्राप्त नहीं हुआ है? या वह पत्र कहीं अलमारी में हो। बलि का बकरा हलाल नहीं हुआ इस मलाल के साथ स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज के साथ टिहरी जनपद का अन्नपूर्णा संस्थान फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट भी जांच के घेरे में है। सूत्रों के अनुसार दोनों संस्थानों के तार आपस में जुड़े हुए हैं। स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज की ओर से विनोद कुलियाल ने 61 साथ छात्र/ छात्राओं की सूची छात्रवृत्ति के लिए प्रमाणित करके भेजी थी प्राचार्या के प्रमाण पत्र के साथ।

जारी…

अगले अंक में पढ़िए– कथा: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला (भाग-12)


Please click to share News

Govind Pundir

Related News Stories