सुदेशा बहन और हेमलता को “मां नन्दा शक्ति सम्मान” 2021 से किया गया

सुदेशा बहन और हेमलता को “मां नन्दा शक्ति सम्मान” 2021 से किया गया
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गढ़ निनाद समाचार।

नई टिहरी। टिहरी जिले की समाज सेविका एवं विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रहने वाली सुदेशा बहन एवं रुद्रप्रयाग की हेमलता बहन को ” माँ नंदा शक्ति सम्मान 2021″ से सम्मानित किया गया है।

कार्यक्रम संयोजिका समाज सेविका सरिता भंडारी के संचालन में आयोजित हुए समारोह में देश के 10 राज्यों की 20 महिलाओं को उनके द्वारा समाज के विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे उल्लेखनीय कार्यों के लिए मां नंदा शक्ति सम्मान से नवाजा गया।

14 मार्च 2021 को लुधियाना में आयोजित एक सम्मान समारोह में समाज सेविका सुदेशा बहन और हेमलता को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए यह सम्मान प्राप्त हुआ है। यह कार्यक्रम पिछले साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित किया जाना था मगर कोविड-19 के चलते नहीं हो सका।

सोमवार को एक वेडिंग पॉइंट में समाजसेवी साहब सिंह सजवाण व कविराज ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय उत्तराखंड सभा भारत, लुधियाना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ प्रकाश चंद खुल्वे एवं राष्ट्रीय महामंत्री संजीव नेगी के हाथों सुदेशा बहन को यह पुरस्कार दिया गया है।

कहते हैं यदि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो उम्र कभी आड़े नहीं आती है यह बात 80 साल की सुदेशा बहन पर पूरी तरह से चरितार्थ होती है। उनका जन्म 1939 में लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। सुदेशा बहन ने टिहरी गढ़वाल के कोट गांव से कक्षा चार की पढ़ाई की, उस समय वह गांव की अकेली महिला थी जो हिंदी पढ़ व बोल सकती थी।  

प्रसिद्ध गांधीवादी समाजसेवी सरला बहन जब कभी गांव में आती थी तो सुदेशा बहन ही गांव की महिलाओं और सरला बहन के मध्य वार्तालाप के प्रमुख खड़ी होती थी। 

उनके दामाद समाजसेवी व पत्रकार साहब सिंह सजवाण बताते हैं कि उनकी सासूजी (सुदेशा बहन) ने गांव के स्कूल में ही सिलाई कढ़ाई सीखी। उनका विवाह ठाकुर कुलवीर सिंह के साथ 15 साल की आयु में ही हो गया था। ससुर भगवान सिंह राजशाही सेना में मेजर पद पर तैनात थे।

1978 में चिपको आंदोलन के दौरान सुदेशा बहन 4 अन्य महिलाओं के साथ जेल गई। कटाल्डी खनन विरोधी आंदोलन में भी भागीदारी निभाई। 

1990 में रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों से खेती और बीजों को बचाने के लिए चले बीज बचाओ आंदोलन में भी आपकी सकारात्मक भूमिका रही। इस आंदोलन का यह प्रभाव रहा कि आज भी घाटी के रामपुर गांव के सभी किसान प्राकृतिक खाद का उपयोग करते हैं। बीज बचाओ आंदोलन की सार्थकता को विस्तार देने के लिए अपने दामाद साहब सिंह के साथ मिलकर बिना रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते हुए एक ही खेत में 20 तरह की फसलें उगा डाली।

वहीं रुद्रप्रयाग जिले की रांसी तहसील की हेमलता बहन भी सामाजिक कार्यों में पीछे नहीं हैं। देवनगरी ऋषिकेश में सामाजिक संस्था “आस” के तत्वावधान में “नन्दा तू राजी खुशी रैया” अभियान के अंतर्गत जरूरत मंद टीबी पीड़ित बालिकाओं के चेहरे पर मुश्कान लाना, प्रोटीन युक्त भोजन देना आदि निस्वार्थ सेवा में लगी हैं।

निश्चित रूप से ऐसी जीवट, सजग, सक्रिय समाजसेवी महिलाएं पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है।


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Govind Pundir

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