नवरात्र: ” शक्ति उपासना पर्व “

नवरात्र:                       ” शक्ति उपासना पर्व “
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*डॉ. सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी*

गढ़ निनाद समाचार।

नवरात्रि  पर्व  जब  भी   आता ,

वातावरण भक्तिमय बन जाता ।

नियम संयम स्वच्छता उपवास ,

इस   अवधि   मे   होते   खास ।

शक्ति की उपासना का यह पर्व ,

इस  पर हम  सबको  होता गर्व ।

धनवान  हो  चाहे  कोई   निर्धन ,

इस  पर्व  को मनाते हैं सारे जन ।

मुख्य काली लक्ष्मी सरस्वती रूप,

इनके   बनते   अनेक    प्रतिरूप ।

दुर्गा सप्तशती  का  पाठ हैं करते ,

अपने    सब    कष्टों   को   हरते ।

माता   रानी   की  कृपा   बरसती ,

जिसके लिये सारी दुनियां तरसती ।

नवदुर्गाओं    के   जो   नौ    रूप ,

हर   दिन   पूजते   एक   स्वरूप  ।

पूजा पाठ  स़ंग जौ  की हरियाली ,

जो  देती  भक्तों   को   खुशहाली ।

कन्याओं  की  देवी  रूप मे  पूजा ,

इससे श्रेष्ठ काम समझते न  दूजा ।

मन्दिर  –  घर    लगाते    जयकारे ,

माँ के   जितने  भी  भक्त  हैं  सारे ।

फूल   फल   दक्षिणा  और   श्रृंगार,

चढ़ाते  माँ  के  दरवार मे  हर  बार ।

लौंग     सुपारी     श्रीफल      छत्र ,

लाल  वस्त्र   चुनरी   चढ़ाते  सर्वत्र ।

माँ   देती  भक्तों  पर  अपनी  दृष्टि,

जिसने   रची   है  ये   सारी   सृष्टि ।

करती   है   जो   माँ   शेर   सवारी ,

समस्यायें  मिटाती भक्तों की सारी ।

भजन    कीर्तन    कहीं    जगराते ,

माँ     के    दर्शन     करने    जाते ।

मन्दिरों    मे   सर्वत्र   रहती है भीड़  ,

सताती   नहीं    है   उनको    पीड़ !


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Govind Pundir

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