FRI में मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के लिए ‘विश्व दिवस-2021’ मनाया गया

FRI में मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के लिए ‘विश्व दिवस-2021’ मनाया गया
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देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान देहरादून के वन पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाग तथा पर्यावरण सूचना प्रणाली (ENIVS) के सौजन्य से आज संस्थान में मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के लिए विश्व दिवस-2021 मनाया गया। इस अवसर पर एक वेबिनार सह ऑनलाइन भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम में श्री अरुण सिंह रावत, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद

बतौर मुख्यातिथि मौजूद रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. विजेंदर पंवार, समन्वयक एनविस- एफआरआई के स्वागत भाषण से किया गया।  

श्री रावत ने कहा कि वैश्विक स्तर पर 23 प्रतिशत भूमि अब उपजाऊ नहीं रही है, उसमें से 75 प्रतिशत भूमि को मुख्य रूप से कृषि के लिए बदल दिया गया है। भूमि के उपयोग में जो यह परिवर्तन हो रहा है वह मानव इतिहास में किसी भी समय की तुलना में सबसे तेज गति से हो रहा परिवर्तन है और इसमें पिछले 50 वर्षों में अत्यधिक तेजी आई है। 

उन्होंने कहा कि नवीनतम अनुमानों के अनुसार, हमारे देश का 96.40 मिलियन हेक्टेयर (कुल भौगोलिक क्षेत्र का 29.32%) क्षेत्र भूमि क्षरण के दौर से गुजर रहा है, जिसमें से 82.64 मिलियन हेक्टेयर शुष्क भूमि के अंतर्गत आता है। कहा कि वन अनुसंधान संस्थान ने देश के विभिन्न स्थानों में स्थित अपने सहयोगी संस्थानों के साथ मिलकर इन समस्याओं के हल निकालने की कोशिश की है। 

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत में खनन और खदानों के ओवरबर्डन डंप के कारण हजारों हेक्टेयर बंजर भूमि है, जो पर्यावरणीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है। ऐसे क्षेत्रों में वृक्षारोपण कार्य के लिए एक ‘रोड मैप’ तैयार किया गया है।

इस अवसर पर डॉ. अनुराग सक्सेना, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप हरियाणा ,डॉ. राजू ईवीआर, पूर्व प्रभागाध्यक्ष (पर्यावरण) कोल इंडिया लिमिटेड, श्री एन. बाला, प्रमुख, वन पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाग,एचएफआरआई शिमला के वैज्ञानिक डॉ. वनीत जिष्टू समेत कई लोगों ने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर आयोजित ऑनलाइन भाषण प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार  क्रमश: प्रथम पुरस्कार अपूर्वा, द्वितीय पुरस्कार मानसी सिंगल व तृतीय पुरस्कार सुरभि शर्मा को प्रदान किया गया। कार्यक्रम में सभी प्रभागों के प्रमुखों, वैज्ञानिकों, तकनीकी अधिकारियों, छात्रों और अन्य हितधारकों ने भी भाग लिया। 


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Govind Pundir

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