राज्य को वर्तमान संवैधानिक संकट, संशय और ऊहापोह से उबारने को श्री राज्यपाल को लिखा पत्र

राज्य को वर्तमान संवैधानिक संकट, संशय और ऊहापोह से उबारने को श्री राज्यपाल को लिखा पत्र
Please click to share News

नई टिहरी, 30 जून 2021।

उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और वनाधिकार आन्दोलन के संस्थापक और प्रणेता किशोर उपाध्याय ने श्री राज्यपाल को पत्र लिखकर राज्य को अभूतपूर्व संवैधानिक संकट, संशय और ऊहापोह की स्थिति से उबारने का अनुरोध किया है।

अपने पत्र में उपाध्याय ने कहा है कि:-

“परम आदरणीय श्री राज्यपाल जी,

आप और हम उस पीढ़ी के लोग हैं, जिन्होंने संयुक्त उत्तर प्रदेश के गौरव और गरिमा को, उत्तराखंड राज्य के निर्माण के सम्बन्ध में आप भली भाँति अवगत हैं।संघर्ष की एक गौरव गाथा है। आन्दोलन पर सरकारी दमन का एक कलंकित काला अध्याय भी है।मुज़्ज़फरनगर में आन्दोलन के दौरान नारी शक्ति के साथ जो कुछ हुआ, आप भली-भाँति जानती हैं।

सुख और दुःख को, सामाजिक और राजनैतिक चेतना को निकट से महसूस किया है।2000 के बाद उत्तराखंड अलग राज्य बना, लेकिन उसकी तासीर में कोई अंतर नहीं आया। आप भी इसका अनुभव करती होंगी।

मैं उत्तराखंड राज्य आन्दोलन का अन्तिम पंक्ति का एक अदना सा सिपाही रहा हूँ, इसलिये अपनी वेदना इस पत्र के माध्यम से आप तक पहुँचाने की धृष्टता कर रहा हूँ।

राज्य निर्माण के समय भी तत्कालीन राज सत्ता ने उत्तराखंडियों को अनेक गहरे घाव दिये, लुंज-पुंज राज्य दिया। राज्य आन्दोलन के प्राण तत्व जन, जल, जंगल और जमींन की बुनियाद पर प्रहार कर राज्य निर्माण के उद्देश्य की हत्या कर दी।हमारी सबसे महत्वपूर्ण सम्पदा, “जल सम्पदा” हमसे छीन ली।

पहले अंतरिम सरकार के मुख्यमंत्री को विवादास्पद बना दिया और कालान्तर में मुख्यमंत्री को बदलना पड़ा।दो साल में “दो” मुख्यमंत्री, नव-सृजित राज्य की राजनैतिक बुनियाद क्या पड़ती? हम पूरी दुनिया में उपहास के पात्र बन गये।

आज स्थिति और अधिक हास्यास्पद बना दी गयी है। सम्भवतः भारत के राज्यों की सरकारों के इतिहास में यह पहला वाक़या होगा, ज़ब विधान सभा के महत्वपूर्ण बजट सत्र के बीच  में विधायकों को हेलिकॉप्टर से ढोकर अस्थायी राजधानी से स्थायी राजधानी लाया गया हो और Brute बहुमत की सरकार के मुख्यमंत्री को अपमानपूर्ण ढंग से चलता कर दिया गया हो।

इस अभूतपूर्व संकट के काल खण्ड में राज्य एक ओर COVID-19 की विभीषिका से जूझ रहा है, महँगाई, भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी में राज्य देश में अब्बल नम्बर पर है। बेरोज़गार और क़र्ज़ से लदे लोग अपनी जान दे रहे हैं। मानसून राज्य में पदार्पण कर चुका है, प्राकृतिक आपदायें राज्य की नियति में लिखी हैं। अभी रैणी की विभीषिका को राज्य ने झेला है।

आशा है, इस बरसात में राज्य को इस तरह के और दंश न झेलने पड़ें। लेकिन, सरकार इस समय खुद संकट में है। राज्य में संशय और ऊहापोह की स्थिति है।

मुख्यमंत्री जी को शपथ लेने के दिन से 6 माह के भीतर राज्य के सर्वोच्च सदन की सदस्यता की शपथ लेनी है, लेकिन उसकी संभावनायें तो दिन-प्रतिदिन क्षीण होती जा रही हैं। तो, क्या राज्य एक संवैधानिक संकट की ओर अग्रसर हो रहा है? सरकार की सोचनीय दिशा हीनता नौकरशाही का मनोबल तोड़ चुकी है।

आपके कन्धों पर राज्य में बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा प्रसूत भारत के संविधान की रक्षा का गुरुतर भार है और मुझे विश्वास है आप संविधान की आत्मा और भावना की रक्षा करेंगी और इसी भावना से मैं इस पत्र के माध्यम से आपसे अनुरोध कर रहा हूँ कि राज्य को इस संशय और ऊहापोह की स्थिति से निवारित करने का कष्ट करें। “


Please click to share News

Govind Pundir

Related News Stories