आगामी 25 वर्ष के लिए अनुसंधान रोडमैप बनाने हेतु वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में चिंतन सत्र का आयोजन

आगामी 25 वर्ष के लिए अनुसंधान रोडमैप बनाने हेतु वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में चिंतन सत्र का आयोजन
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देहरादून। भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) का आगामी 25 वर्ष के लिए अनुसंधान रोडमैप बनाने हेतु वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून द्वारा 30 जून को चिंतन सत्र का आयोजन संस्थान के दीक्षांत गृह में किया गया।   श्री भारत ज्योति, भा.व.से., निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे और उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की तथा मुख्य भाषण दिया।

इस अवसर पर निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), डॉ रेणु सिंह, भा.व.से. ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने मुख्य अतिथि श्री भारत ज्योति, श्री ए. एस. रावत, भा.व.से. महानिदेशक भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद, श्री. सुनीश बख्शी, भा. व. से., आईजी (आरटी), एमओईएफ और सीसी, विभिन्न राज्यों  के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वरिष्ठ वन अधिकारी, आई.सी.ए.आर., एन.बी.पी.जी.आर., आई.सी.एफ.आर.ई, और एफ.आर.आई., के वरिष्ठ वैज्ञानिक, विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधकर्ता, पीएचडी स्कोलर्स, प्रगतिशील किसान और प्रेस और मीडिया के प्रतिनिधि का आई.सी.एफ.आर.ई. के एक दिवसीय विचार-मंथन सत्र मे स्वागत किया।  इसके बाद उन्होंने उद्घाटन भाषण के लिए श्री अरुण सिंह रावत, भा. व. से.महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद को आमंत्रित किया।  श्री रावत ने वनों के महत्व और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के साथ-साथ जंगलों पर प्रतिस्पर्धा के दबाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी।  उन्होंने वानिकी के क्षेत्र में उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए अनुसंधान को फिर से उन्मुख करने के लिए विचारों पर विचार-मंथन करने की आवश्यकता पर बल दिया। 

इसके बाद डॉ. एच.एस. गिनवाल, वैज्ञानिक-जी एवं दीन वन अनुसंधान संस्थान  सम विश्व विद्यालय द्वारा भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद की समग्र गतिविधियों पर एक प्रस्तुति दी गई।  इसके बाद, प्रतिनिधियों को छह विषयगत समूहों में बांटा गया,  जिन्होंने विभिन्न वानिकी के महत्वपूर्ण विषयों  पर विचार-विमर्श किया।  कार्य समूह I ने आजीविका के लिए वन और वन उत्पादों के प्रबंधन पर जोर देने वाले क्षेत्र पर काम किया। विचार-विमर्श की अध्यक्षता डॉ. विजय कुमार, भा. व. से. पीसीसीएफ, उत्तराखंड ने की। कार्य समूह II  ने जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिक सुरक्षा के महत्वपूर्ण क्षेत्र पर विचार-विमर्श किया। विचार-विमर्श समूह की अध्यक्षता डॉ. धनंजय मोहन, भा. व. से., पीसीसीएफ और एमडी, वन विकास निगम, उत्तराखंड ने की।

कार्य समूह III ने वन एवं जलवायु परिवर्तन पर विचार विमर्श किया और विचार-विमर्श समूह की अध्यक्षता सुश्री मधु शर्मा, भा. व. से., पीसीसीएफ, कर्नाटक वन विभाग ने की।  कार्य समूह IV ने मुख्य क्षेत्र वन आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन और वृक्ष सुधार पर विचार-विमर्श किया। विचार-विमर्श समूह की अध्यक्षता श्री. जगदीश चंद्र, भा. व. से., पीसीसीएफ और वन बल के प्रमुख, हरियाणा वन विभाग ने की । कार्य समूह V  ने प्रमुख क्षेत्र वानिकी शिक्षा और नीति अनुसंधान और उभरती चुनौतियों का सामना करने पर विचार-विमर्श किया।  विचार-विमर्श समूह की अध्यक्षता श्री. भारत ज्योति, भा. व. से., निदेशक,  इंद्रा गांधी राष्ट्रिय वन अकादमी ने की।  कार्य समूह VI  ने अनुसंधान को लोगों तक पहुंचाने के लिए वानिकी विस्तार पर विचार-विमर्श किया। विचार-विमर्श समूह की अध्यक्षता डॉ. एम.पी. सिंह, भा. व. से., निदेशक, आई.डब्ल्यू.एस.टी., बैंगलोर ने की। 

विचार-विमर्श के बाद छह प्रमुख क्षेत्रों की सिफारिशों पर व्यक्तिगत कार्य समूहों द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं। श्री आर. पी. सिंह, भा. व. से., प्रमुख वन संवर्धन एवं प्रबंधन प्रभाग धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। 

कार्यक्रम का संचालन सुश्री विजया रात्रे, भा. व. से., सहायक सिल्वा, एफआरआई द्वारा किया गया।  चिंतन सत्र में भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के सभी उप महानिदेशक, सहायक महानिदेशक, वैज्ञानिक एवं वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।   निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान के मार्गदर्शन में वन अनुसंधान संस्थान की पूरी टीम ने कार्यक्रम को सफल बनाने में काफी योगदान दिया।  


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Garhninad Desk

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