वन अनुसंधान संस्थान सम विश्वविद्यालय, देहरादून का 6वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न

वन अनुसंधान संस्थान सम विश्वविद्यालय, देहरादून का 6वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न
Please click to share News

देहरादून 26 नवम्बर। वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) सम विश्वविद्यालय, देहरादून का 6वां दीक्षांत समारोह आज संपन्न हो गया है। इस अवसर पर श्री भरत ज्योति, निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून मुख्य अतिथि व श्री बिवाश रंजन, अतिरिक्त महानिदेशक (वन्यजीव), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

श्री अरुण सिंह रावत, कुलाधिपति, एफआरआई सम विश्वविद्यालय और महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई), देहरादून ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए दीक्षांत समारोह के औपचारिक शुरुआत की घोषणा की।

तत्पश्चात, डॉ रेनू सिंह, कुलपति, एफआरआइ सम विश्वविद्यालय और निदेशक, एफआरआई ने गणमान्य अतिथियों, विशेष आमंत्रित सदस्यों, छात्रों और उनके अभिभावकों और सभी उपस्थितजनों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय की रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसमें विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और वानिकी और संबंधित क्षेत्रों की चुनौतियों पर आधारित कार्ययोजना के साथ ही साथ भविष्य की प्रतिबद्धताओं का उल्लेख किया गया। उन्होंने छात्रों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने और ज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हेतु विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
समारोह के दौरान वानिकी के विभिन्न विषयों में 115 पीएचडी और 389 एमएससी सहित कुल 504 उपाधियाँ प्रदान की गईं। इनके अतिरिक्त, एमएससी कोर्स मे उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 12 छात्रों जिनमे रूपाली शर्मा, सावला श्रुति हसमुख, बिक्रम सिंह (वानिकी); भव्या थापा, प्राची उपाध्याय, एंथोनी एशलिन विलियम (पर्यावरण प्रबंधन); सुनंदिनी, आकांक्षा शर्मा, प्रदीप कुमार पटेल (काष्ठ विज्ञान और प्रौद्योगिकी); उन्नति चौधरी, रूचि भैसोरा, त्रिनाधा चटर्जी (सेलूलोज़ और पेपर तकनीक) को स्वर्ण पदक दिए गए।

वानिकी विषय में डॉ. जी एस रंधावा, पूर्व प्रोफेसर, आईआईटी रुड़की द्वारा प्रायोजित तीन प्रो. पूरन सिंह सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरेट थीसिस पुरस्कार वर्ष 2018-19, 2019-20, 2020-21 के लिए डॉ. इंद्रनील मंडल, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून; डॉ. तंजीम फातिमा, इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, बैंगलोर; और डॉ. राखी त्यागी, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून को प्रदान किये गए।
सभा को संबोधित करते हुए, मुख्य अतिथि श्री भरत ज्योति ने ज्ञान अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान और नवाचारों के महत्व पर प्रकाश डाला और प्रकृति व पर्यावरण की रक्षा, संरक्षण में विश्वविद्यालय शिक्षा की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि युवाओं को कौशल प्रदान करके न केवल वैश्विक चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान, सतत विकास लक्ष्यों और राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्यों को भी प्राप्त किया जा सकता है। भारत की नई शिक्षा नीति को साझा करते हुए, श्री भरत ज्योति ने छात्रों से अपनी प्रतिभा को बढ़ाने और करियर चुनाव के लिए इसका लाभ उठाने का भी आह्वान किया।


समारोह के विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए, श्री बिवाश रंजन ने कहा कि वन संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए और वन उत्पादकता और वन आधारित उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन बढ़ाने, गरीबी उन्मूलन, प्रदूषण प्रबंधन, वनीकरण, जलवायु परिवर्तन, आदि से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए वैज्ञानिक प्रयासों को बढाया जाना चाहिए। उन्होंने इस दिशा में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की विभिन्न पहलों जैसे कैम्पा, हिमालयी अध्ययन के लिए राष्ट्रीय मिशन, औद्योगिक प्रदूषण के प्रबंधन के लिए क्षमता निर्माण, राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय और हरित कौशल विकास कार्यक्रम को साझा किया।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री अरुण सिंह रावत ने अपने संबोधन में आईसीएफआरई द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण क़दमों जैसे वर्ष 2020-2030 के लिए राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान योजना (एनएफआरपी), वर्ष 2018- 2023 के लिए वानिकी विस्तार रणनीति कार्य योजना, आईसीएफआरई कर्मचारियों के क्षमता विकास हेतु मानव संसाधन विकास योजना, मंत्रालय के हरित कौशल विकास कार्यक्रम का क्रियान्वयन, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप, वानिकी के माध्यम से 13 प्रमुख नदियों के पुनरुद्धार के लिए डीपीआर तैयार करना, राष्ट्रीय REDD + रणनीति आदि के बारे में बात की। उन्होंने युवाओं में पर्यावरण चेतना विकसित करने के लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय समिति के साथ आईसीएफआरई के ‘प्रकृति’ नामक वैज्ञानिक – छात्र संपर्क कार्यक्रम का भी उल्लेख किया जिसको युवाओं द्वारा बहुत पसंद किया जा रहा है।

अंत में कुलाधिपति द्वारा दीक्षांत समारोह के औपचारिक समापन की घोषणा की गयी। इसके उपरांत डॉ.एच. एस. गिन्वाल, डीन, एफआरआई सम विश्वविद्यालय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ समारोह का समापन हुआ।


Please click to share News

Garhninad Desk

Related News Stories