शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तराखंड प्रांत का ज्ञानोत्सव 2023 का हुआ आयोजन

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तराखंड प्रांत का ज्ञानोत्सव 2023 का हुआ आयोजन
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देहरादून 9 मई 2023। सरस्वती विद्या मन्दिर मांडू वाला देहरादून में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तराखंड प्रांत का ज्ञानोत्स्व 2023 का आयोजन किया गया। जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में न्यास के उत्तर क्षेत्र के समन्यवक आदरणीय जगराम जी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्वलन किया गया। ज्ञानोत्सव दो सत्रों में संपन्न हुआ। प्रथम सत्र में कार्यक्रम संयोजक प्रो संदीप विजय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया, साथ ही न्यास के प्रांत अध्यक्ष प्रो नीरज तिवारी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगो के सामने कार्यक्रम की रूप रेखारखी।

अतिथि उद्बोधन में जगराम जी ने ज्ञानोत्सव के साथ शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की स्थापना उद्देश्य किए गए कार्य कार्य पर विस्तृत से चर्चा करते हुए कहा शिक्षा का मूल लक्ष्य मनुष्य के चरित्र का निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास है। इसी ध्येय के साथ शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने अपने आधारभूत विषयों के रूप में चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास पर कार्य करना आरंभ किया। तदुपरांत भारत की शिक्षा भारत की संस्कृति, प्रकृति एवं प्रगति के अनुरूप हो – इस उद्देश्य के साथ हमारा कार्य विस्तार क्रमिक रूप से होते गया। सर्वप्रथम हमने ‘चरित्र निर्माण’ के साथ-साथ मूल्य आधारित शिक्षा, मातृभाषा में शिक्षा, वैदिक गणित, पर्यावरण शिक्षा और शिक्षा की स्वायत्तता पर कार्य करना प्रारंभ किया। ये हमारे मूलभूत विषय हैं। कार्यक्रम संयोजक डॉ संदीप विजय ने मातृ भाषा के विकास के आत्म निर्भर भारत पर अपने विचार रखे और साथ ही उन्होंने स्थूल और सूक्ष्म ज्ञान को उदाहरण देकर सभी लोगो के सम्मुख अपने विचार रखे, न्यास के प्रांत अध्यक्ष प्रो नीरज तिवारी ने चरित्र निर्माण से आत्म निर्भर भारत पर अपने विचार रखे ।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे सरस्वती विद्या मंदिर के सहायक प्राचार्य श्री तीरथ सैनी जी ने भी प्राचीन शिक्षा पद्धति और वर्तमान शिक्षा की स्थिति को वर्गीकृत किया, न्यास के महिलाकार्य की संयोजक डॉ दीप शिखा ने पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार रखे और आत्म निर्भर भारत के लिए ये कितना आवश्यक है इस हेतु लोगो को जागरूक किया । उन्होंने जन, जननी, जमीन, जानवर, और जंगल इन पांच के संरक्षण के क्या नैतिक कर्तव्य है इसके बाद प्रथम सत्र की अध्यक्षता कर रहे श्री नीरज भट्ट ने बहुत ही सारगंभित रूप से हमारी पूर्व से चली आ रही संस्कृति परंपरा को सभी दिशाओं में जोड़कर शिक्षा का वास्तविक अर्थ समझाया।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में वक्ता रहे प्रो नीरज रुवाली जी ने व्यक्तित्व विकास से आत्मनिर्भर भारत पर अपने विचार रखे , शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तराखंड प्रांत के प्रांत संयोजक डॉ. अशोक कुमार मैन्दोला ने शिक्षा ज्ञान परंपरा विषय पर संबोधन करते हुए कहा देश का विकास और उन्नति तब ही हो सकती है जब शिक्षा व्यवस्था सही हो। जीवन में सफल होने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन है। जीवन की कठिन चुनौतियों को इसके जरिये कम किया जा सकता है। शिक्षा अवधि में प्राप्त ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के बारे में आश्वस्त करता है। प्राचीन काल से हमारे देश में शिक्षा को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. हमारे भारत में गुरुकुल परम्परा सबसे पुरानी व्यवस्था है। गुरुकुलम वैदिक युग से ही अस्तित्व में है। प्राचीन काल में गुरुकुल शिक्षा पद्दति से ही शिक्षा दी जाती थी। भारत को विश्व गुरु इस पद्धति के कारण ही तो कहा जाता था। अब इस परम्परा का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। डॉ अनुज शर्मा ने भारतीय प्रबंधन एवं कौशल विकास से आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना विषय पर संबोधन करते हुए कहा प्रबंधन शिक्षा, शिक्षा का एक महत्वपूर्ण आयाम इसमें भारतीयता का समावेश हो, इसका स्वरूप भारतीय दृष्टि से निर्धारित हो- इस दिशा में प्रबंधन शिक्षा निरंतर कार्यरत है। प्रबंधन शिक्षा का स्वरूप देश की आवश्यकताओं के अनुरूप बने सरस्वती विद्या मन्दिर मांडू वाला देहरादून के प्राचार्य श्री राकेश मैन्दोला ने भी ज्ञानोत्सव पर अपने विचार रखे। समापन सत्र में डॉ.अशोक कुमार मैन्दोला ने प्रांत प्रतिवेदन पढ़कर लोगो को न्यास के द्वारा की गई गतिविधियों आगामी कार्य योजना के बारे में बताया। इस दौरान न्यास के प्रांत सह संयोजक डॉ सुरेंद्र विक्रम सिंह पडियार, रमेश चंद्र जोशी, प्रो मुकेशऔर न्यास के कई कार्यकर्ता साथ ही विद्या मन्दिर के प्राध्यापक, कार्मिक और छात्र उपस्थित रहे I


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Garhninad Desk

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