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नई टिहरी मास्टर प्लान फेल- जगत सागर बिष्ट                      

नई टिहरी मास्टर प्लान फेल- जगत सागर बिष्ट                      
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टिहरी बांध परियोजना के लिए कुर्बान हुआ सांस्कृतिक नगर टिहरी को विकास के लिए जल समाधी लेनी पड़ी। केन्द्र सरकार व राज्य सरकार ने डूबती जनता के घर बार खेत खलिहान व सांस्कृतिक यादों को जिंदा रखने के लिए नई टिहरी नगर का निर्माण करवाया । जिसमें सरकारों द्वारा दावा किया कि नया नगर मास्टर प्लान के तहत आधुनिक सुविधाओं से युक्त बनाया जायेगा।

यह उत्तर भारत का पहला नगर होगा जिसमें बिजली, पानी, स्वास्थ्य तथा शिक्षा का हब बनाया जायेगा I लेकिन सरकारों के ये दावे आज खोखले साबित हो रहे है । विस्थापित जनता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है । 13 जनपदों में टिहरी पहला जिला है जहां शिक्षा , स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते लगातार बड़े शहरों में पलायन हो रहा है ।

शहर के मास्टर प्लान का तो कहना ही क्या! बारिश आते ही पानी नाली, नालों में नही सड़कों से होता हुआ लोगों के घरों में भर जाता है। मास्टर प्लान के अनुसार बिजली ,पानी की अंडरग्राउंड लाइन बिछाई गई है जिसमें अरबों रुपये पानी की तरह बहाये गये । लेकिंन आज बिजली के खम्बे व पानी के जाल सड़कों, सीढ़ियों व आम रास्तों में हादसों का सबव बने है । मास्टर प्लान शहर नई टिहरी , शहर कम बड़ा गांव ज्यादा नजर आता है I शहर की अंदरूनी सड़कों के हाल तो देखने लायक है I सड़कों में बड़े- बड़े गढ़डे और सड़कों में विखरा उखड़ी रोड़ीयों के डेर रोज हादसों को आमंत्रित करते रहते है। प्रशासन  नगर पालिका और नगर पालिका प्रशासन पर दोषारोपण करते दिखाई देते है । लोक निर्माण का कहना है कि अंदरुनी सड़के नगर पालिका के पास है पालिका को ही इसकी रेख देख करनी है । मास्टर प्लान शहर में गंदगी का अम्बार लगा है । सड़को व रास्तों में मलवें के डेर जमा है । शहर के अधीकांश नालीयां व नाले कुडे से पटे पडे है । जिससे बरसात का पानी सड़को में बहता है जिस कारण आवाजाही में काफी परेशानीयों का सामना शहरवासीयों को करना पड़ता है। नगर पालिका की कूडे उठाने की अधिकांश गड़ीया सड़क किनारे खराब पड़ी  घूल फांक रही है । पालिका हमेंशा की तरह बजट का रोना रोने को मजबूर है । 

नई टिहरी जिला मुख्यालय पर्यटक नगरी के नाम से जानी जाती है, जहां पर्यटन की कोई गतिविधियां दूर- दूर तक नहीं दिखाई देती है । बौराड़ी का बस अड्डा करोड़ों खर्च करने के बाद भी ढाक के तीन पात जैसा है,  बसों का अकाल रहता है I शहर के होटल पर्यटकों की राह देखते इतने उदास हो गये है कि वे होटल के पानी, बिजली का बिल  के साथ बैंको के कर्ज देने में अपने आप को असमर्थ महसूस कर रहे है । पर्यटको की कमी के चलते गढ़वाल मण्डल विकास निगम का होटल तो अपने कर्मचारीयों का वेतन, खर्चा नही उठा पा रहा। निगम की कैन्टीन तो सालों से बन्द पही है । 

नई टिहरी मास्टर प्लान शहर की सड़कों का हाल यह कि चार गाड़ीयां एक साथ आ गयी तो जाम लग जाता है । शहर में पार्किग की कमी के कारण गांडीयां सड़को के किनारे खडी रहती है जिस कारण जाम की समस्या व हादसों का खतरा हमेंशा बना रहता है । जनता की मांग पर  प्रशासन द्वारा दो- तीन पार्किंग का निर्माण किया गया है। बौराड़ी का पार्किंग स्थल आवारा पशुओं का चारागाह बना है। मास्टर प्लान में पाकिंग बनाने के लिए स्थान भी नही छोडे गये है । ग्रीन बेल्ट के लिए जो कुछ जगह छोड़ी भी गयी थी वह दलालों ने पुनर्वास विभाग की मिलीभगत से अलॉट करवा दी। जिसका खामीयाजा आज के लोगों को भुगतना पड़ रहा है । प्लान में दो बाजार नई टिहरी व बौराड़ी बनाये गये है, जहां एक साथ आमने- सामने से दो गाड़ी आ जाये तो घण्टों तक जाम की वजह बन जाती है ।               

जिला मुख्यालय का एक मात्र अस्पताल बौराड़ी है, जो रैफर सेन्टर बना है । अस्पताल का भवन काफी बड़ा बनाया गया है, लेकिन प्रदेश सरकार व उनके प्रतिनीधि इस अस्पताल में डाक्टर व सुविधा जुटाने में अस्मर्थ है, लेकिन वर्तमान में स्वास्थ्य सुविधा जुटाते समय जनप्रतिनिधि जनता को हाथ जोड़ते नजर आते है । सरकारों की अनदेखी के चलते व मूलभूत सुविधाएं न होने के चलते इस जिला मुख्यालय से लगातार पलायन जारी है।                         नई टिहरी, बौराड़ी में कुछ परिवार पुरानी टिहरी से विस्थापित है, तो कुछ बौराड़ी, कुलणा गांव के वह परिवार है जिन्होने शहर बसाने के लिए जमीन दी , बाकी पूरे शहर में जिले के अधिकारी व कर्मचारीयों का निवास है । उनके परिवार भी राजधानी या उसके आस- पास के शहरों में रहते है। यहां स्वास्थ्य, शिक्षा की कमी बताई जाती है। जिस कारण अधिकारी व कर्माचारी केवल कार्य दिवस को ही दिखाई देते है । जिस कारण शहर में अधिकांश संनाटा ही पसरा रहता है। जिस वजाहों से  यहां वर्षो से सांस्कृतिक गतिविधियां देखी नही गयी है । शहर के अधिकांश व्यापारी या तो शहर छोड़ कर चले गये है बाकी बचे पलायन को मजबूर है । जिसका पहला कारण शहर के आस- पास गांवों का न होना है दुसरा बडे शहरों से सीधी बस सेवा का न होना बताया जाता है । 

टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष टीकम सिंह चौहान का कहना है कि पर्यटन शहर होने के बाद भी शहर में पर्यटकों की भारी कमी है। जिससे टैक्सी का काम की कमी देखने को मिलती है । इस शहर को बनाते समय कई माहत्वपूर्ण बातों को नजर अंदाज किया गया है । जिस कारण यह शहर बेरोजगारों को कभी भी रोजगार नही दे सकता है । नगर पालिका के पूर्व सभासद व व्यापार मंडल के नेता करम सिंह तोपवाल का कहना है कि शहर का मास्टर प्लान फेल है, शहर में मानव सुविधाओं की कमी व शहर को केन्द्र में रखकर विकास नहीं किया गया। शहर को टुकड़ों में बांटा गया। ऐसी अनेकों समस्याओं के चलते शहर के वासी शहर छोड़ने को मजबूर है । नई टिहरी जिला का अस्तित्व को बचाने के लिऐ सरकार व जनप्रतिनिधों को एक ठोस योजना पर कार्य करने की जरुरत है । जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य , पर्यटन, शुद्घ पानी, बडे शहरों से बस सेवा जोड़ना जैसे प्रमुख कार्य करने पर जोर देने की जरुरत है ।


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Govind Pundir

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