तुलसी उत्तर भारत के सबसे बड़े लोकनायक थे: प्रोफेसर दुबे

तुलसी उत्तर भारत के सबसे बड़े लोकनायक थे: प्रोफेसर दुबे
Please click to share News

पौड़ी 14 अगस्त । राजकीय महाविद्यालय पाबौ पौड़ी गढ़वाल मे प्राचार्य प्रोफेसर सत्य प्रकाश शर्मा के दिशा-निर्देशन एवं मार्गदर्शन मे आई०क्यू०ए०सी० तथा हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वाधान मे तुलसी साहित्य एवं वर्तमान परिपेक्ष विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं मां शारदा के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर शर्मा द्वारा सर्वप्रथम माननीय उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखंड सरकार डॉ० धन सिंह रावत, निदेशक उच्च शिक्षा प्रोफेसर सी०डी० सूठा एवं बीज वक्ताओं का स्वागत व अभिनंदन किया गया। बीज वक्ताओं मे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के वरिष्ठ प्रोफेसर, प्रो० अखिलेश दुबे ने गोस्वामी तुलसीदास के साहित्य के विभिन्न आयामों पर अपने विचार प्रकट किया। मुख्य अतिथि के रूप मे निदेशक उच्च शिक्षा प्रो० सी०डी० सूठा ने अपने संबोधन में तुलसी के मानव मूल्य, भौतिक मूल्यों का उल्लेख करते हुए वेमिनार को विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों के लिए उपयोगी और महत्वपूर्ण बताया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नरेंद्र प्रताप सिंह ने तुलसी साहित्य की विभिन्न पक्षो, भक्ति, समर्पण, त्याग, निष्ठा आदि की विवेचना करते हुए उपयोगिता बताई।

राजकीय महाविद्यालय पाबौ के शिक्षा शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० सौरव सिंह ने तुलसी साहित्य में निहित शैक्षिक विचारों का विस्तार पूर्वक समीक्षा की। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्राचार्य प्रोफेसर सत्य प्रकाश शर्मा ने तुलसीदास के संघर्ष का उल्लेख करते हुए वर्तमान परिपेक्ष में उसकी आवश्यकता बताया कि संघर्ष, समर्पण, समन्वय और लक्ष्य प्राप्ति के लिए कुशल प्रबंधन तुलसी के आराध्य राम जैसा होना चाहिए। वेमिनार का संचालन हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० सरिता तथा आयोजक सचिव डॉ० मुकेश शाह द्वारा किया गया। इस वेमिनार में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, राजस्थान सहित लगभग 15 राज्यों के प्रतिभागियों ने ऑनलाइन माध्यम से प्रतिभाग किया। वेमिनार के कन्वीनर डॉ० सौरभ सिंह, आयोजक सचिव डॉ० मुकेश साह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ० सुनीता चौहान, डॉ० गणेश चन्द्र, डॉ० अनिल शाह, डॉ० जय प्रकाश पंवार का विशेष योगदान रहा। वेमिनार मीनार मे महेश चंद्र, विजेंद्र बिष्ट, सोनी, अनुराधा सहित महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।


Please click to share News

Garhninad Desk

Related News Stories