मत्स्य पालन से स्थानीय बेरोजगारों की आय में हो रही है वृद्धि, पलायन में आई कमी

मत्स्य पालन से स्थानीय बेरोजगारों की आय में हो रही है वृद्धि, पलायन में आई कमी
Please click to share News

’जनपद टिहरी में चांजी मत्स्य जीवी सहकारी समिति से न केवल समिति के सदस्यों अपितु स्थानीय बेरोजगार ग्रामीणों की आय में हो रही है वृद्धि और सामाजिक उन्नयन से गांव के पलायन में आई कमी।’’

** आइए जाने समिति की दृढ इच्छाशक्ति और मत्स्य विभाग के सहयोग से समिति की
मत्स्य पालन में सफलता की कहानी
**

टिहरी गढ़वाल 1 सितम्बर, 2023। चांजी गाड़ के तट पर स्थित ग्राम चांजी, विकासखंड भिलंगना, जनपद टिहरी गढ़वाल के स्थानीय अनुसूचित जाति के 11 बेरोजगार व्यक्तियों के द्वारा वर्ष 2018 में चांजी मत्स्य जीवी सहकारी समिति का गठन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालन को स्वरोजगार के रूप में अपना कर अधिक से अधिक ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ते हुए आय को दुगुनी करना है।

जनपद मुख्यालय से लगभग 85 कि.मी. दूर घनसाली-अखोडी मार्ग पर चांजी गाड़ के बाईं ओर चांजी मत्स्य जीवी सहकारी समिति द्वारा मत्स्य विभाग के सहयोग से भूमि का निरीक्षण करवाया गया, जो कि ट्राउट मस्य पालन हेतु उपयुक्त पायी गयी।
समिति द्वारा वर्ष 2019-20 में मत्स्य विभाग के सहयोग से नीलक्रांति योजना के अंतर्गत 08 तालाब निर्मित किए गए तथा वर्ष 2022-23 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 08 रेशवेजों का निर्माण किया गया। ट्राउट रेशवेजों में जलापूर्ति का कार्य चांजी गाड़ से किया जा रहा है, जिसके जल का तापमान लगभग 06 से 16 डिग्री सैल्सियस तक रहता है।

मत्स्य विभाग द्वारा समिति को नील क्रांति योजनान्तर्गत 08 रेशवेजों का निर्माण हेतु कुल 9.50 लाख तथा निवेश हेतु 12 लाख अनुदान दिया गया। वर्ष 2020 में 4 हजार, 2021 में 20 हजार तथा वर्ष 2022 में 15 हजार ट्राउट मत्स्य बीज उपलब्ध कराया गया। इसके साथ ही वित्तीय 2021-22 में समिति को जिला योजना के अंतर्गत तौल मशीन तथा एन.सी.डी.सी. योजनान्तर्गत आक्सीजन जनरेटर, आईस बाक्स आदि दिया गया है।

समिति के रेजो में प्रथम बार वर्ष 2020-21 में मत्स्य बीज पोषित किया गया। वित्तीय वर्ष 2021-22 में समिति द्वारा निवेश धनराशि से ट्राउट मत्स्य बीज एवं आहार क्रय किया गया। समिति द्वारा जनवरी 2022 से मत्स्य बिक्री का कार्य प्रारम्भ किया गया। समिति द्वारा ट्राउट फिश उत्पादन को चण्डीगढ़, दिल्ली, देहरादून एवं स्थानीय बाजार में विक्रय करने के उपरान्त लगभग रू. 06 लाख तथा वर्ष 2022-23 में लगभग रू. 08 लाख की आय की गयी है।  समिति गठन से पूर्व सदस्यों द्वारा धान की खेती की जाती थी, जिससे समिति के सदस्यों की वार्षिक आय 15-20 हजार थी।

समिति द्वारा मत्स्य पालन को न केवल स्वरोजगार के रूप में अपनाया गया बल्कि लगभग 35 स्थानीय ग्रामीणों को प्रत्यक्ष रूप से तथा लगभग 75 ग्रामीण को अप्रत्यक्ष रूप से इसमें जोड़कर उन्हें रोजगार दिलाया है। इससे समिति से जुड़े सदस्यों एवं स्थानीय बेरोजगार ग्रामीणों की आय में वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक उन्नयन भी हुआ है, साथ-साथ गांव के पलायन में भी कमी आई है।


Please click to share News

Govind Pundir

Related News Stories